Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 12 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 562
________________ ५४८ भगवतीसूत्रे -सिद्धत्वपर्यायेण किं प्रथम:-- प्रथमताधर्मविशिष्टः अथवा अप्रथमः इति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम ! 'पढमे नो अपढमे' प्रथमो न अपथमः सिद्धेन सिद्धत्वपर्यायस्य अमाप्तपूर्वस्य प्रथमत एव प्राप्तत्वात् तेन प्रथम एव नाप्रथम इति । एकवचनमाश्रित्य प्रथमसामथमत्वयो विचारं कृत्वा बहुवचनमाश्रित्य प्रथमत्वामथ मत्यो विचाराय आह-'जीवा ' इत्यादि । 'जीवा गंभंते !' जीवाः खलु भदन्त ! 'जीवभावेणं किं पढमा अपढमा' जीवभावेनजीवत्वपर्यायेण किं प्रथमा अथवा अप्रथमा जीवैर्हि जीवत्वं कदाचित्माप्तपूर्वमप्राप्तपूर्व वेति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम ! 'नो किं पढमे अपढमे' हे भदन्त ! सिद्धत्वपर्याय की अपेक्षा सिद्ध क्या प्रथमता धर्मविशिष्ट है' या अप्रथम है ? इसके उत्तरमें प्रभु कहते हैं'गोयमा ! पढमे नो अपढमे' हे गौतम ! सिद्धत्वपर्याय की अपेक्षा सिद्ध अवस्था प्रथमता धर्म विशिष्ट है अप्रथम नहीं । क्योंकि सिद्धने वह पर्याय कभी नहीं पाई-पहिले पहिल ही पाई है। इससे उसकी अपेक्षा वह उसकी पर्याय प्रथम ही है। अप्रथम नहीं हैं। इस प्रकार यह जो प्रथमता और अप्रथमता का कथन किया गया है वह एकवचन को आश्रित करके किया गया है-अब बहुवचन को लेकर प्रथमता और अप्रथमता का विचार करने के लिये गौतम प्रभु से एसा पूछते हैं-'जीवाणं भंते ! जीवभावेणं किं पढमा, अपढमा' हे भदन्त ! समस्त जीव जीवत्व पर्याय की अपेक्षा से प्रथम हैं या अप्रथम हैं ? अर्थात् जीवों ने जीवत्व पर्याय पहिले पाई हैं या पहिले नहीं पाई है ? इसके उत्तरमें प्रभु कहते हैं'गोयमा ! नो पढमा, अपढमा' हे गौतम ! जीवों की यह जीवत्व पर्याय ટીકાથ––હે ભગવન સિદ્ધપણાની પર્યાયની અપેક્ષાએ સિદ્ધિો પ્રથમતા ધર્મવાળા છે? કે અપ્રથમ છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુ કહે છે કે -'गोयमा ! पढमे नो अपढमे !' है गौतम! सिद्धत्व पर्यायनी अपेक्षा સિદ્ધ અવસ્થા પ્રથમ છે અપ્રથમ નથી. આ રીતે જે આ પ્રથમતા અને અપ્રથમતાનું કથન કર્યું છે, તે એક વચનને આશ્રય કરીને કરવામાં આવ્યું છે. હવે બહુવચનને આશ્રય કરીને પ્રથમતા અને અપ્રથમતાને વિચાર કરવા भाट गौतम स्वामी प्रभुने से पूछे छे ?--"जीवाणं भंते ! जीवभावेणं किं पढमा, अपढमा" है सावन साना पयायनी अपेक्षाथी प्रथम છે? કે અપ્રથમ છે? અર્થાત્ જીએ જીવ પર્યાય પહેલાં પ્રાપ્ત કરી છે કેपडे प्राप्त नथी ४१ १ मा प्रश्न उत्तरमा प्रभु छ ४-'गोयमा ! नो पढमा, अपढमा" गौतमलवानी मानी पर्याय प्रथम नयी, ५२ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૨

Loading...

Page Navigation
1 ... 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710