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(ज) प्रसिद्ध सागवत पुराण में विष्णु के चौबीस अवतारों का वर्णन करते हुए उनमें ऋषभ देव को विष्णु का पांचवां अवतार माना गया है। उनमें विष्णु का प्रथम अवतार मत्स्य; द्वितीय कच्छप, तृतीय वराह और चौथा नृसिंह अवतार मान कर पांचवां अवतार ऋषस देव को माना गया है। इसका अभिप्राय यह हुआ कि विष्णु के अवतारों में भगवान् ऋषभ देव मनुष्य अवतारों में सर्व प्रथम थे। भगवान् ऋषभ देव का चरित्र भागवत पुराण के पंचम स्कन्ध में विस्तारपूर्वक दिया गया है। उसमें यह भी लिखा गया है कि उन्हीं के चरित्र की नकल करके बाद मे जैन धर्म चला। भागवत में उनके पुत्र भरत चक्रवर्ती को एक बड़ा भारी महात्मा बतलाया गया है। ___ कुछ लोग भागवत पुराण को हजार वारह सौ वर्ष से अधिक प्राचीन नहीं मानते, किन्तु सनातनधर्मी समाज उसको महाभारतकालीन महर्षि वादरायण व्यास की सबसे अनिम कृति मानता है। किन्तु वाल्मीकीय रामायण तथा योगवासिष्ट को सनातन धर्मी लोग भी राम का समकालीन ग्रन्थ मान कर उनको मागवत पुराण से अधिक प्राचीन मानते हैं।
वाल्मीकीय रामायण के आदि काण्ड दशम सर्ग के श्लोक ८ में दशरथ द्वारा किए गए अश्वमेध यज्ञ का वर्णन करते हुए कहा गया है कि
अनाथा भुञ्जते नित्यं, नाथवन्तश्च भूजते । तापसा भुञ्जते चापि, भुञ्जते श्रमणा अपि ॥
___ बाल्मीकीय रामायण, बालकांड, सर्ग १०, श्लोक दशरथ के यज्ञ मे अनाथ, सनाथ, तापस और श्रमण सभी श्राहार बेवे थे।