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संक्षिप्त जन इतिहास ।
ई० से ६०० ई० तक अनुमान किया जाता है । जब कि गोमा मौर हांगलके कदम्बोंने सन् १०२५ से १२७५ ई० तक राज्य किया था। गोआके कदम्बोंकी राजधानी हल्सी (बेलगांव) थी। कदम्बोंकी उत्पत्तिके विषयमें कुछ भी निश्चित नहीं किया
जासकता, क्योंकि इस विषयमें प्राचीन कदम्ब वंशकी मान्यतायें अनुपलब्ध हैं। किन्तु यह स्पष्ट उत्पत्ति । है कि कदम्बोंके मादि पुरुष मुक्कण्ण ब्राह्मण
वर्णके वीर पुरुष थे । उपरांतके वर्णनोंमें इस वंशकी उत्पत्ति शिव और पारवतीके सम्बन्धसे हुई बताई गई है
और एक कथामें उन्हें नन्द राजाओंका उत्तराधिकारी लिखा है। परन्तु यह कथन विश्वसनीय नहीं है। वास्तवमें कदम्म वंशके राजालोग कर्णाटक देशके अधिवासी थे और उनका गृहवृक्ष (guardian tree) 'कदम्ब' था, जिसके कारण वह 'कदम्ब' के नामसे प्रसिद्ध हुये थे। तामिल साहित्यमें कदम्बोंका मुलनाम 'ननन' और ऊन्हें स्वर्णोत्ादक 'कोकानम्' प्रदेशका राजा लिखा है। साथही तामिल ग्रन्थकार उनका उल्लेख ‘कडम्बु' नामसे करते हैं । अतः विद्वानों का अनुमान है कि इन्ही प्राचीन नन्नन कदम्बोंसे बनवासीके कदम्बराजाओं का सम्पर्क था। संभवतः उनकी उत्पत्ति इन्ही नन्नन-कदम्बोमेसे हुई थी।
प्रारम्भमें कदम्बवंशके राजागण वेदानुयायी ब्राह्मणों के भक्त
१-अमीयो०, भा० २१ पृ. १४-१६. २-जमीसो०, भा० २७ पृ. ३२४-३२.
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