________________
गङ्ग-राजवंश ।
[५३
__नामक चालुक्य राजकुमारियाँ थीं। उनका श्रीपुरुषके पुत्र । सर्वज्येष्ठ पुत्र शिवमार नामक था, जो अपने
पिताके मृत्यु समय कडम्बूर और कुनगरनाडु नामक प्रांतोंका शासक था। विजयमहादेवीका पुत्र विजयादित्य कोरेगोडनाडु और मसंडिनाडु प्रांतोंपर शासन करता था; जहां उसके उत्तराधिकारी बहुत दिनोंतक राज्य करते रहे थे। एक अन्य पुत्र दुग्गमार नामक था, जो कोवलाकनाडु, बेलतुरनाडु, पुलवकिनाडु और मुनउ प्रदेशोंका शासक था। सिवगेल्ल संभवतः उनके सर्वकघु पुत्र थे और यही उनके सेनापति थे। इन्होंने पल्लवों और राठौरोंसे अपने पिताके लिये बड़ी लड़ाइयां लड़ी थीं। अंतमें वह वीरगतिको प्राप्त हुये थे। उनकी पुण्यस्मृति एक शासनलेख मङ्कित कराया था। इस प्रकार श्रीपुरुषका महान् राज्य अन्तको प्राप्त हुआ था।' उनके पश्चात् उनका ज्येष्ठ पुत्र शिवमार राज्यसिंहासन पर
सन् ७८८ ई० में बैठा था। राजसिंहासन शिवमार। पर बैठते ही शिवमारको अपने छोटे भाई
दुग्गमारसे झगड़ना पड़ा था, जो खुल्लमखुल्ला वागी होगया था। शिवमारके करद नोलम्बराज सिंगपोट अपना दलबल लेकर दुग्गमारसे जा भिड़े और उसे परास्त कर दिया । किन्तु राज्यारम्भ हुआ यह ममंगल अन्त तक अमंगल सूचक ही रहा। शिवमारके शासनकालमें गङ्गोंका भाग्य ही पलट गया। नौवत यहां तक पहुंची कि गङ्ग वंशके अन्त होनेकी माशङ्का उप
१-पूर्व. पृ. ५९.
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com