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संक्षिप्त जैन इतिहास ।
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स्थित हुई थी। बात यह हुई कि राठौर राजा कृष्ण प्रथमने पूर्वी चालुक्योंको परास्त करके उनके राज्य पर अधिकार जमा लिया था। शिवमारको राठौर राजा ध्रुव निरूपमने गिरफ्तार करके अपने यहां कैदखाने में रक्खा था, क्योंकि उसने ध्रुवके विरुद्ध उसके भाई गोविंदकी सहायता की थी। गणवाड़ी पर राज्य करने के लिये उसने अपने ज्येष्ठ पुत्र खम्बको नियुक्त किया। गङ्ग प्रजाका इस परिवर्तनसे दिल दहल गया था। ध्रुव निरूपमकी आन्तरिक इच्छा थी कि उसके पश्चात्
उसका लघु पुत्र गोविंद राज्यका अधिकारी राजनैतिक हो। इसी मावसे उसने खम्बको गणवाडी परिस्थिति। पर राज्य करने भेज दिया था। खम्बने
रणावलोक स्वभ्वैय नामसे अपने पिताके जीवनभर गंगवाड़ी पर राज्य किया, परन्तु ज्यों ही उनकी मृत्यु हुई और सन् ८९४ ई०में उसका छोटा भाई गोविंद राजसिंहासनपर बैठा कि वह उसके विरुद्ध होकर स्वयं राजा बननेका प्रयास करने लगा। गोविंदने इस समय शिवमारको इस नीयतसे बन्धनमुक्त कर दिया था कि वह खभ्वसे जा लड़ेगा; परन्तु शिवमारने ऐसा नहीं किया। उसने राजत्वसूचक उपाधियां धारण की और खम्बसे संघि करली। शिवमारने राठौरों, चालुक्यों और हैहय राजाओंकी संयुक्त सेना पर माक्रमण किया। मुडगुन्ड्रमें घमासान युद्ध हुमा, परन्तु शिवमार शत्रुकी मजेय शक्तिके सम्मुख टिक न सका। राठौरोंने एकवार फिर उसे बन्दी बना लिया। गोविंद एक वीर
१-पूर्व० पृ. ६०-६१.
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