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तत्कालीन छोटे राजवंश ।
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पुत्री थीं । गजा स्कन्दवर्मान उनके लिये एक अन्य ही राजकुमार पति चुना था, परन्तु उन्होंने स्वयं दुर्विनीतको वरा था इम घटनासे तत्कालीन स्त्री-स्वातंत्र्य एवं वैवाहिक समुदारताका पता चलता है ।
उपरांत पुन्नाट राज्य गङ्ग साम्राज्य में मिला लिया गया था । पुन्न'ट- राजाओं का केवल एक शिलालेख मिला है, जिससे इस वंश के निम्नलिखित राजाओंके नाम मिळते हैं- (१) राष्ट्रवर्मा, (२) जिनका पुत्र नागदत्त था, (३) नागदत्त के पुत्र भुजग हुये, जिन्होंने सिंहवर्मा की पुत्रीक साथ विवाह किया था, (४) उनके पुत्र स्कन्द - वर्मा ये, जिनके पुत्र और उत्तराधिकारी, (५) पुन्नाट - राज रविदत्त हुये थे ।
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६. सेनवार- राजवंश के राजा जैन धर्मानुयायी थे जिनके शिलालेख * डू' जिला के पश्चिमीय मागले मिले हैं हले-पहले पश्चिमी चालुक्य राजा विनयादित्य के समय में अर्थात् न् ६९० के लगभग सेनवार राजाओंका उल्लेख हुआ मिळता है । सन् १०१० ई० के लगभग राजा विक्रमादित्य के आधीन एक सेन्वार राजा वनवासी प्रातपर शासन करने बनाये गये हैं। किन्तु सन १०५८ ई० के उपरांत सेनवार राजा स्वतंत्र होगये थे । वे अपनेको वरवंशी बताते थे ।
जैन शास्त्रोंमें विद्याधर वंश के राजाओंको 'खेचरवंशी ' भी कहा गया है। संभव है कि सेनवार राजा मूळमें विद्याधर वंशके । उनका राजध्वज सर्पचिह्न युक्त भा-इसीसे उसे 'फणिध्वन'
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