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संक्षिप्त जैन इतिहास |
भाकर देशी-विदेशी सब ही प्रकारके शासकोंने शांतिलाम किया था और धर्मके पवित्र सिद्धांतों का प्रचार किया था । कुड़ापा जिले से प्राप्त एक लेख में जिस पावन भावनाको उत्कीर्ण किया गया है, उसको यहां उद्धृत करके हम यह खण्ड समाप्त करते हैं—
शास्त्राभ्यासो जिन तिनुतिः, संगतिः सर्वदाय्यैः । सट्टत्तानां गुणगणकथा, दोषवादे च मौनम् ॥ सर्वस्यापि प्रियहतवचो, भावना चात्मतत्त्वे | सम्पद्यतां मम भवभवे, यावदेते ऽपवर्गः ॥
ता० ३०-७-३८ } कामताप्रसाद जैन - अलीगंज ।
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