Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 02
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 190
________________ १६४ ] संक्षिप्त जैन इतिहास | भाकर देशी-विदेशी सब ही प्रकारके शासकोंने शांतिलाम किया था और धर्मके पवित्र सिद्धांतों का प्रचार किया था । कुड़ापा जिले से प्राप्त एक लेख में जिस पावन भावनाको उत्कीर्ण किया गया है, उसको यहां उद्धृत करके हम यह खण्ड समाप्त करते हैं— शास्त्राभ्यासो जिन तिनुतिः, संगतिः सर्वदाय्यैः । सट्टत्तानां गुणगणकथा, दोषवादे च मौनम् ॥ सर्वस्यापि प्रियहतवचो, भावना चात्मतत्त्वे | सम्पद्यतां मम भवभवे, यावदेते ऽपवर्गः ॥ ता० ३०-७-३८ } कामताप्रसाद जैन - अलीगंज । । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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