Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 02
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 185
________________ तत्कालीन छोटे राजवंश। [१५९ ७. सालुव-राजवंश । सालुव मथवा सात्व वंशके राजा भी मूलमें जैनी थे । वे अपनेको चन्द्रवंशी बताते थे। तुलुव. देशान्तर्गत सङ्गीतपुर (हाडुबल्लि) नामक नगरमें उनकी राजधानी थी। सालुओं के पूर्वज टिक्कम से उनवंशी राजा महादेव और रामचन्द्र के सेनापति थे, जिन्होंने सन् १२७६-८० में होयसल राजा. ओपर माक्रमण किया था। कहते हैं, उन्होंने होयसल राजधानी दोरासमुद्रको लूटा था। सन् १३८४ में एक सालुव रामदेव तलकाड़के शासक (Governar. थे। वह कोट्टकोडं नामक स्थान पर तुरकोंसे लड़ते हुए वीरगतिको प्राप्त हुये थे। सालुव-टिप्प. राजका विवाह विजयनगरके राजा देवराय द्वितीयकी बहिन हरियाके साथ हुमा था। सन् १४३१ में देवरायने टिप्पराज और उनके पुत्र गोपरा. जको टेडल नामक प्रदेश प्रदान किया था। इनके विरुद्ध 'मेदिनी, मीसर, गंड' व 'कठारि. सालुव' थे । सन् १४८८-१४९८ ई०के मध्यमें इस वंशमें इन्द्र, उनके पुत्र संगिगज गौर पौत्र सालुवेन्द्र तथा इन्द्रगस्त्य हम्मडि-सालुवेन्द्र हुये थे। उपगंत सन् १५३० तक सालुव मक्किाय, देवराय और कृष्णदेव नामक गजा हुये थे। सन् १५६० के लगभग सालुवोंकी राजधानी क्षेमपुर (जेरसोप्पा) गई थी; जहां देवराय, भैरव, और साल्वमल्ल नामक राजामोंने तुल, कोंकन, ईचे मादि देशोंमें पराजय किया था। इसी वंशके कतिपय राजाभोंने सन् १४७८-१४९६ तक विजयनगर राजपपर शासन किया था। सालुव नरसिंह नामक राजकुमार विजयनगर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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