________________
गङ्ग-राजवंश |
[ ७९
...
इस प्रकार चामुंडरायकी साहाय्यसे मारसिंह के पश्चात् उनके
पुत्र राजमल्ल चतुर्थ राज्याधिकारी हुये उनके सेनापति और महामंत्री श्री चावुंड
चामुंडराय ।
रायजी रहे । गङ्गकुलके हितके किये, गन्न राज्य विस्तार के वास्ते और राज्यव्यवस्थाको समुन्नत बनाने के हेतु चामुंडराय निरंतर उद्योगशील रहते थे । यद्यपि उनके अतुल 1 अधिकार थे, पर तो भी उन्होंने कभी उग्रव्यवहार नहीं कियाबल्कि हरसमय संयमसे ही काम लिया । उनका एक मात्र ध्येय राजत्वकी सेवा करना था और उसे उन्होंने खूब ही निभाया 1 वह ब्रह्मक्षत्रकुलके रत्न थे । उनके पिता महाबलय्य और पितामह गोविंदमय्य थे; जिन्होंने मारसिंहकी उल्लेखनीय सेवा की थी । अपने पिता के समान ही चामुंडरायने भी मारसिंह के साथ युद्धों में निजशौर्यका परिचय दिया था । नोरम्बपल्लवों से जो युद्ध हुआ था, उसमें चामुंडरायने विशेष रूपसे भुजविक्रमका कौशल दर्शाया था चामुंडरायके पिता गङ्ग राजधानी तलकाड में बहुधा रहते थे इसलिये यह अनुमान किया जासक्ता है कि उनका जन्म और बाल्यजीवन
I
1-"Chamundaraya who stamped cut sedition and establish - ed Order became the minister and general of Rajamalla IV. Though he was armed with unlimited powers, he behaved with great moderation; and with a singleness of aim which has no parallel in the history of Ganga dynasty, he devoted himself to the service of the State. His whole career might be summed up in the word " Devotion. " - M. V. Krishna Rao. गंग० पृष्ठ १११.
२- गङ्ग०, पृष्ठ १११.
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com