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; गङ्ग राजवंश।
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चामुंडराय एक वीर योद्धा और दक्ष सेनापति होने के साथ
ही वह एक कुशल राजमंत्री और राज्यव्यराजमंत्री। वस्थापक भी थे। राजमंत्री पदसे उन्होंने
गल-राज-प्रणालीके अनुरूप देशका शासन सुचारु रूपसे किया। उनके मन्त्रित्वकालमें देशमें विद्या, कला, शिल्प और व्यापारकी मच्छी उन्नति मुई थी। गमवाडीकी प्रजाकी मभिवृद्धि होना, चामुंडरायके शासनकी सफलताका प्रमाण है। इस कालके बने हुये सुंदर मंदिर, मनोहर मूर्तियां, विशाल सरोवर और उन्नत राजप्रासाद आज भी दर्शकोंके मनको मोह लेते हैं। यह इमारतें गङ्गराष्ट्रको तत्कालीन समृद्धिशालीनताकी द्योतक हैं । और वह चामुंड. रायको एक सफल राजमंत्री घोषित करती हैं। साथ ही गंग राष्ट्रकी उस समय अपने पड़ोसी राजाओंके प्रति जो नीति थी, उससे चामुंडरायकी गहन राजनीतिका पता चलता है। उस समयकी सुख-शांतिपूर्ण राज व्यवस्थाका ही यह परिणाम
___था कि गङ्गवाडीमें ललितकलाके साथ-साथ साहित्योन्नति । साहित्यकी उन्नति भी विशेष हुई थी।
गणवाड़ीमें पन्नड़ साहित्यकी प्रधानता थी। ग्ङ्ग राजामों और चामुंडरायने तत्कालीन कवियोंको माश्रय देकर उनका उत्साह बढ़ाया था। इन कवियोमें उल्लेखनीय मादिपम्प, पोन्न, रन मोर नागवर्म हैं । मादिपम्प और पोनका समय चामुं. डरायजीसे पहलेका है। उन्होंने गमराजा एरेयप्पके संरक्षणमें साहित्य रचा था। किंतु रख और नागवर्मःच मुंडरायके समकालीन थे। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com