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गङ्ग-राजवंश |
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किया था । जिस समय गुजरात के गुर्जर राजाओंने कलचूरियों पर आक्रमण किया था, तो उस समय उनकी रक्षा करने के लिये कृष्णराजने मारसिंहको भेजा था। मारसिंहने गुजरात पर आक्रमण किया और अन्हिलवाडके राजा मूलराज तथा राष्ट्रकूटोंके बागी हुये करद सियक परमारको परास्त किया था । इस विजयोपलक्ष में मारसिंह 'गुर्जराधिराज' नाम से विख्यात हुये थे । इस युद्धमें उनके सहायक सूद्रकय्य और गोग्गियम्म नामक योद्धा थे, जिन्होंने वीरतापूर्वक कालंजर और चित्रकूटके किलोंकी रक्षा करके "उज्जैनी भुजङ्ग" उपाधि प्राप्त की थी। मारसिंहने अपने इन सरदारोंको कदम्बलिंगे १००० प्रान्त पर शासन करनेके लिये श्रवणबेळगोल के कूगे ब्रह्मदेव स्तम्भ ( शक भी मारसिंह के प्रताप का दिग्दर्शन होता है ।
नियुक्त किया था । ८९६) लेख से
सं०
इस लेख में कथन है कि "मारसिंहने राष्ट्रकूट नरेश कृष्णराज तृतीय के लिये गुर्जर देशको विजय किया; कृष्णराजके विपक्षी अल्लाका मद चूर किया; विन्ध्य पर्वतकी तली में रहनेवाले किरातोंके समुद्दोंशे जीता; मान्यखेटमें नृग कृष्णराजकी सेनाकी रक्षा की; इन्द्रराज चतुर्थका अभिषेक कराया; पाताळ मल्लके कनिष्ठ भ्राता बज्जलको पराजित किया; बनवासी नरेशकी धन सम्पत्तिका अपहरण किया; माहूर वंशका मस्तक झुकाया; नोलम्ब कुलके नरेशों का सर्वनाश किया; काडुवट्ट जिस दुर्गको जहीं जीत सका था उस उच्चङ्गि दुर्गको स्वाधीन किया; शवराधिपति नगका संहार किया;
१- गङ्ग ० पृष्ठ ९९-१०१.
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