________________
गङ्ग- राजवंश |
[ ६७
उनके उल्लेखनीय मंत्रियोंने विशेष सहायता दी थी । नागवर्म, नरसिंह, गोविन्दर, घरसेन और एचय्य उनके मंत्रियोंके नाम थे, जो राजनीति में बृहस्पति और मान्धाताके तुल्य कहे गये हैं । नीतिमार्गके तीन पुत्र थे, अर्थात् ( १ ) नरसिंहदेव, (२) राजमल्ल, (३) और बुटुग । नरसिंहदेव राजनीति, हस्तिविद्या, और धनुर्विद्या में निपुण थे । उनका ज्ञान नाट्यशास्त्र, व्याकरण, आयुर्वेद, अलङ्कार और संगीतशास्त्र पे भी अद्वितीय था । वह अपने शौर्य के लिये प्रसिद्ध थे और ' सत्यवाक्य ' एवं ' वीरवेदेन ' उपाधियों से अलंकृत थे । किन्तु उन्होंने अल्पकाल ही राज्य किया । '
नरसिंह के उपरांत उनका छोटा भाई राजमल्ल तृतीय गङ्ग राजसिंहासन पर आरूढ़ हुआ, जिसने राजमल्ल तृतीय । ' सत्यवाक्य', 'नचेयगङ्ग' और 'नीतिमार्ग' उपाधियां धारण की थीं। राजमल्लको राष्ट्रकूटोंके साथ नोलम्ब राजकुमार अयप्प और उन्नेयसे लड़ना पड़ा । दूसरी ओर चालुक्यराज भीम द्वितीयसे लोहा ले रहे थे । इन लड़ाइयोंका मूल कारण इन राजाओंकी राज्यलिप्सा और महत्वाकांक्षा ही था । सन् ९३४ ई० में भीमसे लड़ते हुये भयप्प तो वीर गतिको प्राप्त हुये थे; परन्तु उनके पुत्र मन्नेय, जो गङ्ग राजकुमारी पोल्लब्बेकी कोख से जन्मे थे, वह स्वाधीन रूपमें राज्यशासन करने में सफल हुए थे । मन्नेयने वीरतापूर्वक चालुक्यों, राष्ट्रकूटों और गनोंका मुकाबिला किया था; बल्कि उन्होंने गनवाड़ी
१-मम०, पृष्ठ ८८-१०.
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com