________________
गङ्ग-राजवंश।
[४५
पुत्रको राजा घोषित किया था। दुर्विनीतको यह सहन नहीं हुआपरिणाम स्वरूप भाइयोंमें गृहयुद्ध छिड़ा। दुर्विनीतकी सहायता चालुक्य गजकुमार विजयादित्यने की, जो दक्षिणमें राज्य संस्थापनकी चिन्तामें घूम रहा था। उसके माईके सहायक कडवेट्टि और राष्ट्रकूट वंशोंके राजा हुये । विजयादित्यकी सहायतासे दुर्विनीत ही राज्याघिकारी हुमा। उसका विवाह विजयादित्यकी कन्यासे हुया था । दुर्विनीतको राजगद्दी पा बैठा कर विजयादित्य विजय-गर्वसे
आगे बढ़ा और कुन्तल देश पर उसने अधिकार जमाया । त्रिलोचन पल्लवको यह असह्य हुमा । उन दोनों का घमासान युद्ध छिड़ा, जिसमें विनयादित्य काम काया । किन्तु दुर्विनीकी सहायतासे विजयादित्य के पुत्र जयसिंह वल्लभने त्रिलोचनसे बदला चुकाया । कुछ तो च'लुक्योंकी सहायता के लिये और कुछ कोहुनाद प्रदेशको पल्लवोंसे पुनः वापस लेनेकी भावनासे दुर्विनीत बराबर पल्लवोंसे लड़ता रहा; परन्तु चालुक्योंमें गृहयुद्ध छिड़ जानेके कारण वह अपने इस मनोरथको सिद्ध न कर सका। तो भी उसने पल्लवोंसे अंधरी, अल्लतुरु, पोरकरे, पेन्नगरे एवं कई अन्य स्थान छिन लिए थे। उसने भाने नानाकी राजधानी पुन्नाडको भी जीत लिया था।
दुर्विनीत एक विजयी वीर योद्धा तो थे ही, परन्तु वह स्वयं एक विद्वान और विद्वानोंके संरक्षक थे। उनकी उदारता भेदभाव नहीं जानती थी। जैन, ब्राह्मण मादि सभी संप्रदायोपर वह सदय
१-गङ्ग• पृष्ठ ३५-३९. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com