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गाजवंश।
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उन्होंने अपनी सम्पत्तिका सदुपयोग किया था। वह परास्त हुये शत्रुका भी सम्मान करते थे। इसीलिये वह सबको प्यारे थे । दक्षिण भारतके राजाओंने वह महान् थे।' मुष्कर (मोकर) दुर्विनीतका पुत्र था- उनके बाद वही राज्या
धिकारी हुआ । उसे कान्तिविनीत भी कहते मुष्कर। थे। उसके दो माई भौर थे, परन्तु वह
उससे छोटे थे। उसका विवाह सिंधुराजकी कन्यासे हुमा था । वेलारीके निकट उसने 'मोक्कर वस्ती' नामक जैन मन्दिर बनवाया था, जिससे प्रगट है कि गङ्गराज उस दिशामें बढ़ गया था । मुष्करके समयसे गङ्गराजाका राजधर्म होनेका गौरव पुनः जैनधर्मको प्राप्त हुआ था। सिन्धु राजकुमारीकी कोखसे जन्मे मुष्करके पुत्र श्री विक्रम
उनके पश्चात् राज्याविकारी हुये; परन्तु श्री विक्रम। उनके विषयमें कुछ विशेष हाल विदित नहीं
होता । हां, यह स्पष्ट है कि अपने पिताकी मांति वह भी एक विद्वान थे। राननीतिका मध्ययन उनका उल्लेखनीव विषय था । वैसे विद्याकी चौदह शाखाओंमें वह निपुण कहे गए हैं। उनके दो पुत्र मूविक्रम और शिवमार नामक थे, जो उनके पश्चात क्रमशः राज्याधिकारी हुये थे।
१-गङ्ग, पृ० ४३-४५. २-०, पृ० ४५६ मकु०, पृ० ३७.
उौकु. पृ. ३७ मा पृ.४१. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com