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संक्षिप्त जैन इतिहास ।
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कारिकल चोलके प्रसिद्ध वंशकी राजकुमारी भूविक्रमकी माता
थी। भूविक्रम एक महान् योद्धा और दस भूविक्रम। घुड़सवार थे। उनका शरीर सुडौल और
सुन्दर था; यद्यपि उनका विस्तृत वक्षस्थल शत्रुओंके अस्त्र प्रहारोंसे चिह्नित होरहा था । युद्धोंमें निज पराक्रम दर्शाकर विजयी होनेके उपलक्षमे वह · श्रीवल्लभ' और 'दुग्ग' विरुदोंसे समलंकृत थे। सातवीं शताब्दिमें जब कि रङ्ग राजा अपना राज्य पूर्व और दक्षिण दिशामोंमें बढ़ा रहे थे, तब कदम्बोंने गङ्ग राज्यके एक भागपर अधिकार जमा लिया। चालुक्यराज पुलिकेसिन द्वितीय भूविक्रमके समकालीन और कदम्बोंके शत्रु थे। भूविक्रमने उनसे संघि करके अपने शत्रुओंसे बदला चुकाया। विकन्दके महान युद्ध में उन्होंने पल्लवसेनाको हराकर उनके राज्यपर मधिकार जमाया। उनका एक करद राजा बाणवंशी सचीन्द्र नामक था, जो महावलिबाण विक्रमादित्य गोविन्दके नामसे प्रसिद्ध और जैनधर्मानुयायी था। भूविक्रमने उन्हें भूमि भेंट की थी। उन्होंने मानकुण्डमें राजगृह नियत किया था।' भूविक्रम के पश्चात उनका छोटा भाई शिवमार राजसिंहासन
पर बैठा और दीर्घ कालतक उसने राज्य शिवमार। किया । पल्लवोंने अपना बदला चुकाने के
लिये इनके शासनकालमें गङ्गराज्य पर माक्रमण किया था। किन्तु पल्लव सफकमनोरथ नहीं हुये; बरिक
१-मैकु. पृ० ३७ व गा• पृ. ४६-४८.
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