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३८] संक्षित जैन इतिहास । REAMINARIYANAINAAMANARTHAN इन्हीं इक्ष्वाकु राजाओंकी सन्ततिमें गड राज्यके संस्थापक भ्रातृयुगल थे । उधर यूनानी लेखक लिनीने कलिङ्गके गङ्गोंका उल्लेख 'गरिडै कलिङ्गे' (Gangeridae Kalingae) नामसे किया है। गङ्ग शिल लेखों और यूनानी लेखकोंके वर्णनसे यह भी मनुमान होता है कि गङ्गोंके आदि पुरुष गङ्गा नदीके पासवाले प्रदेशमें बसते थे । वहांसे उपरांत वे कलिङ्ग और दक्षिण भारतको चले गए थे। सारांशतः गङ्गोंका सम्बन्ध इक्ष्वाकु छत्रियों और गङ्गा नदीसे स्पष्ट है। अच्छा, तो ईसाकी प्रारम्भिक शताब्दियों में इक्ष्वाकु-क्षत्रियोंके
दो राजकुमार पेरूर नामक स्थानपर माये । दिदिग-माधव व यह दोनो राजकुमार भाई-भाई थे और सिंहनंदी आचार्य । इनके नाम दिदिग और माधव थे। पेरूरमें,
जो उपरांत वहांपर गा राज्यकी स्थापना होने के कारण गह-पेरूर' नामसे प्रसिद्ध होगया, उन दोनों भाइयोंको श्री सिंहनन्दि नामक जैनाचार्य मिले। उन्होंने जैनाचार्यकी बन्दना की और उन्हें अपना गुरु स्वीकार किया। सिंहनन्दाचार्यने उन्हें समुचित शिक्षा प्रदान की और पद्मावतीदेवीसे उनके लिये एक वरदान प्राप्त किया। उन्होंने उन राजकुमारोंको एक तलवार भी भेट की भौर उनका राज्य स्थापित करा देनेका वचन दिया । गुरु महाराजके इस माश्वासनसे उन दोनो भाइयोंको पतीव पसमता
१-गा, पृ. ९. २-प्रोसीडिंगस भाठवीं आल इंडिया भोरियंटल कास, मसूर, पृ० ५७२-५८२.
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