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संक्षिप्त जैन इतिहास |
माधव और उनके पश्चात् दक्षिण भारतकी राजनैतिक परिस्थिति ने ऐसा रूप ग्रहण किया कि जिसमें
राजनैतिक स्थिति । गङ्ग नरेशका ऐक्य सम्बन्ध पल्लवोंसे स्थापित होगया । पहले तो पल्लवने गङ्ग राज्यपर
अधिकार जमाना चाहा; परन्तु जब कदम्ब राजाओंने उनसे विरोध धारण किया तो उनके निग्रह के लिये पलुवोंने गोंसे मैत्री कर ली । गङ्ग राज्यका बल इस संघिसे बढ़ गया और भागे चलकर वह अपना राज्यं सुदृढ़ बना सके । यह इस समयकी राजनीतिकी एक खास घटना है ।
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माधव के उपरांत उनका पुत्र हरिवर्मा लगभग सन् ४३६ ई० में सिंहासनारूढ़ हुआ और सन् ४७५ ई० तक संभवतः उसका राज्य रहा ।
हरिवर्मा |
पल्लवराज सिंहवर्म द्वितीयने उनका राजतिलक किया था। कहा जाता है कि हरिवर्माने युद्धमें हाथियोंसे काम किया था और धनुषका सफल प्रयोग करके अपार सम्पत्ति एकत्र की थी । इन्होंने ही कावेरी तटपर तलकाडमें राजधानी स्थापित की थी । इनकी सभा में ब्राह्मणोंने बौद्धोंको परास्त किया था। ब्राह्मणोंको 1 इन्होंने दान दिये थे । तगडूर के दानपत्र से प्रगट है कि इस राजाने एक किसानको अप्योगाल नामक गांव इसलिये भेंट किया था कि उसने हेमावतीकी लड़ाई में अच्छी बहादुरी दिखाई थी । वीरोंका सम्मान करना वह जानता था ।
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१-गम० १० २६-२०. २- बङ्ग० पृ० २९. ३- मेकु०, १०४३. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com