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नारी का मन :
विभाग कर दिए थे, जिससे पुत्रों में किसी प्रकार का संघर्ष न हो ।
उस युग में समय और अंग दोनों विशाल देश थे । मगध की राजधानी राजगृही थी और अंग की राजधानी चम्पा नगरी थी । कोणिक ने राजगृही को छोड़कर चम्पा को अपनी राजधानी बनायी थी । कोणिक और कालीकुमार में अत्यन्त -स्नेह और सद्भाव रहता था ।
त्रिल्लकुमार और वेहासकुमार कोणिक के सहोदर भाई थे । राजा श्रेणिक ने विहल्लकुमार को सिचानक गन्ध हस्ती और वंक हार दिया था । वह अपना हार पहन कर हाथो पर सवार हो, रोज बाजार में से निकलता । एक बार कोणिक की रानी पदमावती को विहल्लकुमार की इस शान शौकत ने ईर्ष्या दग्ध कर दिया । रानी ने कोणिक को हार - हाथी छीन लेने के लिए बाध्य कर दिया । विहल्लकुमार अपनी रक्षा के लिए अपने नाना चेटक के पास पहुँच गया। वह विशाला नगरी का अधिपति था । चेटक ने विहल्लकुमार एवं हार और हाथी की रक्षा का दृढ़ संकल्प कर लिया था । कोणिक और चेटक में भयंकर युद्ध हुआ । इस भीषण एवं दारुण युद्ध में कालीकुमार कोणिक की ओर से युद्ध में गया था। संसार का इतिहास कहता है - युद्ध के तीन कारण हैं- "धन, राज्य और नारी ।" स्वार्थ ने भाई-भाई में भेद की दीवार खड़ी कर दी ।
एक बार भगवान् महावीर चम्पा नगरी पधारे। नगर के बाहर उपवन में परिषदा लगी। रानी काली, भगवान् के दर्शन और वन्दन को आई । परिषदा के लौट जाने पर काली रानी ने वन्दना करके भगवान् से पूछा :
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