________________
है तो फिर तुम कभी नहीं चुनोगे। क्योंकि जब भी तुम चुनते हो तुम नरक चुनते हो, और जो कुछ भी तुम चुनते हो तुम नरक को ही चुनते हो। इसलिए मैं चाहूंगा कि तुम डूबो, मेरे आशीष के साथ डूबो।
जब जीसस कहते हैं कि जो खुद से चिपकेंगे अपने आप को खो देंगे, और जो खो देने को राजी हैं वे पा लेंगे, तो उनका अभिप्राय ठीक यही है। जब सूफी कहते हैं, अपनी मौत से पहले 'मर जाओ, और तब तुम अमर हो जाओगे, तो उनका मतलब भी यही है।
अहंकार की मृत्यु समर्पण दवारा ही घटती है। लोग आकर मुझसे पूछते हैं, 'निर-अहंकारी कैसे बनें?' लेकिन तुम निर-अहंकारी होने के लिए कुछ भी नहीं कर सकते। जो कुछ भी तुम करोगे वही तुम्हें पुन: अहंकारी बना देगा। तुम कोशिश कर सकते ही, अहंकार को अनुशासित करो, लेकिन तुम निरअहंकारी न हो पाओगे क्योंकि जो भी तुम करते हो, अहंकार को बढ़ाता ही है। जिस क्षण तुम कर्ता बन जाते हो, चाहे किसी भी ढंग से, तुम विनम्र होने का प्रयास कर सकते हो, लेकिन अगर तुम्हारी विनम्रता अभ्यास से आई है, तुम्हारे दवारा आरोपित की गई है, तब कहीं गहराई में विनम्रता के भीतर अहंकार ताज पहने बैठा रहेगा, और यह कहता रहेगा, 'देखो मैं कितना विनम्र हैं।'
मैंने एक –व्यक्ति के बारे में सुना है, जो महान मनस्विद एडलर, जिसने हीनता-ग्रंथि, इनफिरिआरिटी काम्पलेक्स शब्द ईजाद किया था, से मिलने गया। उस व्यक्ति का मनोविश्लेषण किया गया। कुछ माह बाद और बड़े परिश्रम के उपरांत एडलर ने उससे कहा अब तुम ठीक हो गए हो। उस व्यक्ति ने कहा : हां, मैं भी महसूस करता हूं कि मैं ठीक हूं। अब मैं ऐसा व्यक्ति हूं जिसमें दुनिया की सबसे सुंदर हीनता-ग्रंथि है-सारे संसार की सर्वश्रेष्ठ हीनता-ग्रंथि।
हीनता की ग्रंथि और वह भी सबसे सुंदर और सर्वश्रेष्ठ? ऐसा संभव है; यह रोज ही घटता है। तुम हीनता की ग्रंथि के बारे में भी अहंकारी हो सकते हो। तुम्हारी हीनता की ग्रंथि के बारे में भी तुममें श्रेष्ठता की ग्रंथि हो सकती है। मनुष्य कितना विचित्र होता है।
धार्मिक व्यक्तियों के पास जाकर उनकी शक्लें देखो। वे हर प्रकार से विनम्रता दिखाते हैं, लेकिन उनसे परिचित होने के लिए तुम्हें उनके भीतर जरा गहरे उतरना पड़ेगा। गहरे में उनका अहंकार यह महसूस करते हुए मुझसे ज्यादा विनम्र कोई और नहीं है, अति प्रसन्न रहता है। यदि तुम किसी धार्मिक व्यक्ति से कहो, मुझे एक ऐसा व्यक्ति मिल गया है जो आपसे ज्यादा विनम्र है, तो उसे चोट पहुंचेगी, वह अपमानित महसूस करेगा, उससे ज्यादा विनम्र कोई नहीं हो सकता, यह असंभव है। लेकिन अहंकार का कुल प्रयास यही तो है-मुझसे ज्यादा अच्छा मकान किसी के पास न हो, मेरी कार से ज्यादा अच्छी कार किसी पास न हो, किसी का चेहरा मुझसे अधिक सुंदर न हो, मुझसे ज्यादा जानकारी किसी के पास न हो। ऐसी तुलना में पड़ कर स्वयं को बेहतर समझना ही तो है अहंकार।