Book Title: Parshwanath Paramparaya Itihas
Author(s): Devguptasuri, Gorinath Shukla
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 13
________________ पृष्ठम् अशुद्धम् 21 तमलो 22 संधं शुद्धम् संघो तमसस्य 91 संघेना स्यीहं पृष्ठम् अशुद्धम् . 49 संधो 50 धर्म , निरुपितम 51 पदवीम " संधेना दीक्षा 23 त्पीठ 24 दीक्षा ,, बहुविद्या "प्राप्या 25 सूरे "वास्तव्य "न्नाचार्य 52 वरदत्तोऽस्य "तन्त्र "ध्याय बहुविधां प्राप्त्या सूरेः ध्यायाय गुरुणा राचार्य बह व्यो निष्फलाः सूरेर्दा संघ देव्यश्वासन् तानि देवान चिह्ननि 26 गुरुणा 28 राचार्य 31 बम्हयो , निष्फला 32 सूरेदा 33 संघो 34 देव्यश्चा सनतानि निरूपितम् पदवीम वास्तव्य न्नाचार्यों वरदत्तोऽयं तत्र दाह्वान बुमुक्षा श्वशुर . . श्चोरस्तस्या श्वशुरा तीर्थे सहन ठाकरशी दृश्यत अपिच एवानु .. . " देवीन 35 चिन्हानि नसा " सा " रूपदेश संघ 36 मेहति / " कौतुहल " पन्चाननः 38 संसेप्य 40 सख्या 41 मगृहात् 43310 44 राज्यप्राति रुपदेशं मर्हति कौतूहल पन्चाननं संसेज्य संख्या मगृहात 320 राज्यप्राप्तिः, पपन्न सर्वस्मिन् द्रष्टव्यम् सर्वान , दाव्हान ___, बुमूक्षा 52 श्वसुर ,श्चौरो तस्या "श्वसुरा . 53 तीथ " सहस्त्र "ठाकरशी 54 दृश्यन्त , अपिच , एवात्नु "370 55 संधं ,, संघस्था .., ष्टान्हिका ,, पितृ 56 गमिष्यामि , मिष्टान्नकोपाच , स्तपोलिका , स्थापिना , जाश्मा , वह , कर्मकेति 56 सहस्त्राद्. ,कल्याणा "मापमायक संघस्थाः न्टाह्निका पित गमिष्यामि मिष्टान्नपाचको घृतपोलिका. स्थापिताः जामा "पपन्ना 45 सवऽस्मिन "दृष्टव्यम , सर्वेम्यो 47 पृष्ठम . 48336 कर्म करोति सहस्राद् कल्याण मापमायए

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