Book Title: Parshwanath Paramparaya Itihas
Author(s): Devguptasuri, Gorinath Shukla
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala
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________________ शुद्धिपत्रम् *eGo पृष्ठम अशुद्धम् 1 द्रव्यभाहतु 1 क्रिया निमग्नान् 2 माधवो 4 द्वसुती 5 विमानोः 5 भविष्यती 6 भवत्वित्युक्त . शुद्धम् द्रव्यमाहर्तु क्रियानिमग्नान् साधवो द्वी सुतौ विमानो भविष्यतीति भवत्वित्युक्त्वा पृष्ठम् अशुद्धम् 12 पूर्णान्रंग: , ममत्यन्त " सूरिति "सुरि 13 लाक्षेण्येन . 14 नियारय शुद्धम् पूर्णान्तरंगः ममन्यन्त सूरिरिसि सूरि लाक्षण्येन निवारय संघेन 6 बृहये वृदये " संधेन " गौत्रै " सूरिश्वरः 6 श्रावकाना ... 6 गगना. . 7-8 श्रावकाना 8 सोत्सहापुरःसरं ,, कोरेण्टक. , निप्रहीतो " घुपसर्गाः गोत्र सूरीश्वरः मुमूर्छ त्वोवाच आश्चार्ययुक्तो विधायः . . . . मूलाभिधानम् 15 मुमूछी 16 त्वोत्वाच " आश्चर्य युक्तो " विषाय , मूलामिधानम . " Sनने 17 संधस्तु "रामर्श " श्रावो " स्पृशं . श्रावकाणा गमना श्रावकाणा सोत्साहपुरासरं कोरण्टक निगृहीतो धुपसर्गाश्च . ऽनेन रादर्श लक्ष्यीकृत्य धर्मोत्साहो श्रेयान मगृहात् श्रीसंघ अष्टाह्निका - चकार ऐश्वर्यान्विता ত্যার मगृह्णात् द्वितीयः सुनुरुप पित्रोः "मागम "काऽआ 18 वीरपूर " लकित्य 9 धमोत्साहो 1. श्रेष्ठः मगृहात् 11 श्रीसंघ .., अष्टान्हिका "चकार: ,, ऐर्यान्विता .. " करुद्र . "मगृहयात् १२.द्वितिय , सूनुरूप संघस्तु भाद्धःस्पृक् / मराम काऽ वीरपुर : रारब्धः निवृत्ति धर्मा "रारूप ,निवृत्ति : 19 धमा , हि 20 स्वश्रेयसकरः , संख्यकैजनै ,, संघो ,, निर्मित , देहमसृजत् श्वःश्रेयसकरः . संख्यकै .. संघो निर्मित देहमुदसवत् / , पित्रीः /
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