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धर्मनिष्ठ, प्रजापालक, यज्ञों का अनुष्ठान करने वाला, शत्रु - विजेता, दानी, क्षमाशील, शूरवीर, निर्लोभी तथा शिव सौर व्यसनों से विरक्त होता है और वह सात्त्विक राजा अम्त समय में मोक्ष को प्राप्त करता है ।
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आचार्य कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में 'मण्डल योनि' नामक छठे अधिकरण में अत्यन्त विस्तार के साथ इस विषय पर विचार किया है। उनका कथन है कि "राजा के १६ अभिगामिक, ८ प्रज्ञा के ४ उत्साह के तथा ३० आत्मसम्पत् के गुण हैं, जिन में महाकुलीन, भाग्यशाली, मेधावी, धैर्यशाली, दूरदर्शी, धार्मिक, सत्यवादी, समीपवर्ती सत्यप्रतिश, कृतज्ञ, महादानी, महान् उत्साहो, शिकारी, दृढ़ निश्चय, राजाओं को जीतने में समर्थ, उक्षर परिवार वाला और शास्त्र मर्यादाओं को चाहने वाला - ये राजा के १६ अभिगामिक गुण है
शुश्रूषा श्रवण, ग्रहण, धारण, विज्ञान, ऊहापोह, तत्त्व तथा अभिनिवेश-ये ८ प्रज्ञा के गुण हैं। शौर्य, अमर्ष, शीघ्रता तथा दक्षता ये ४ उत्साह के गुण है । इसी प्रकार आरमसम्पत् के विषय में कौटिल्य कहते हैं कि बाग्मी ( अर्थपूर्ण भाषण करने में समर्थ }, प्रगल्भ ( सभा में बोलते समय कम्परहित ), स्मृति, मति तथा बल से युक्त, उन्नत चित्त, संयमी, हाथी, घोड़े आदि के चलाने में निपुण, शत्रु की विपत्ति में आक्रमण करने वाला, किसी के द्वारा उपकार या अपकार किये जाने पर उस का प्रतिकार करने वाला, लज्जागील, दुर्भिक्ष और सुभिक्ष आदि में अन्नादि का ठीक-ठीक विनियोग करने वाला, सन्धि के प्रयोग को समझने वाला, प्रकाशमुद्ध में चतुर, सुपात्र को दान देने वाला, प्रजा को कष्ट न पहुँचाकर ही गुप्त रूप से कोष की वृद्धि करने वाला, शत्रु के अन्दर मृगया द्यूत आदि व्यसनों को देखकर उस पर तीक्ष्ण रस आदि प्रयोग करने में समर्थ, अपने मन्त्र को गुप्त रखने वाला, काम, क्रोध, मोह, लोभ, चपलता, उपताप और पंशुन्य से सदा अलग रहने वाला, प्रिय बोलने वाला, हंसमुख तथा उदार भाषण करने वाला और वृद्धों के उपदेश तथा आचार का मानने वाला राजा होना चाहिए। ये ही राजा की आत्मसम्पत् है । महाभारत में भी राजा के ये लक्षण कुछ संक्षेप में और कुछ विस्तार के साथ कहे गये हैं ।
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सोमदेव के अनुसार राजा की योग्यताओं अथवा गुणों का विवेचन
राजा के लिए पराक्रम, सदाचार तथा राजनीतिक ज्ञान तीनों ही बातें राज्य को स्थायी बनाने के लिए परर्म आवश्यक हैं ( ५, ४१ ) । यदि इन में से एक का भी अभाव होगा सो राज्य नष्ट हो जायेगा । क्षाचार्य सोमदेव ने यह मो बताया कि राजनीतिक ज्ञान तथा पराक्रम का धारण करने वाला कौन राजा हो सकता है। इस
१. शुक्र० १ २० २६-११1
म० अ० ६. ९ । ३. बो, ६, १ ।
४. महा० शा०ि,४६, ९६.५७, १३-१४ ।
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attaertain में राजनीति