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को छोड़कर अन्यत्र चले षाना ) आसान है ।" कौटिल्य के अनुसार सन्धि आदि गुणों की उपेक्षा का नाम आसन है।'
५. संश्नय-बलिष्ठ शत्रु द्वारा आक्रमण किये जाने पर किसी दूसरे शक्तिशाली राजा के यहाँ मात्रय प्राप्त करने को संश्रय कहते हैं (२९, ४८)। कौटिल्य के अनुसार किसी अन्य शक्तिशाली राजा के पास स्वयं को, अपनी स्त्री तथा पत्र एवं घना घान्य मादि के समपंप कर देने को संश्रय कहते हैं । झाक ने इस को माथय कहा है। इस का अभिप्राय यह है कि जब राजा अपनी हीन दशा देखे और शत्रु दाक्तिशाली हो तथा पराजय की अधिक सम्भावना हो तो उस स्थिति में राजा को अन्य शक्तिशाली राजा का आश्रय प्राप्त कर अपनी रक्षा का प्रयत्न करना चाहिए । शुक्र के अनुसार जिन राजाओं का आश्रय प्राप्त कर के दुर्बल राजा भी शक्तिशाली बन जायें, उन का प्रश्रय प्राप्त करना आश्रय कहलाता है।
निर्बल राजा को कौन से राजा का आश्रय प्राप्त करना चाहिए इस सम्बन्ध म याचार्य सोमदेव लिखसे है कि शक्तिहीन विजिगोषु शक्तिशाली का ही आक्षय प्राप्त करे। दुर्बल का नहीं, क्योंकि जो विजिगीषु शक्तिशाली शत्रु के आक्रमण के भय से होन राजा का आश्रय प्राप्त करता है उस की हानि उसी प्रकार होती है जिस प्रकार कि हाथी द्वारा होने वाले उपद्रव के भय से भरण्ड पर चढ़ने वाले व्यक्ति को तत्काल हानि होती है (२९,५७)।
६. द्वैधीभाव-सोमदेव के अनुसार बलिष्ठ राजा के साथ सन्धि तथा दुर्बल के साथ युद्ध को द्वैधीभाव कहते हैं (२९, ४९)। जब विजिगी त्रु को यह ज्ञात हो जाये कि आक्रान्ता शत्रु उस के साथ युद्ध करने को तत्पर है तो उस घीभाव का आषय लेना चाहिए । गोमदेव ने बुद्धि-श्राथित द्वैधीभाव का भी उल्लेख किया है जो इस प्रकार है--जब विजिगीषु अपने से बलिष्ठ शत्रु के साथ पहले मैत्री कर लेता है और फिर कुछ समय उपरान्त शत्रु का पराभव हो जाने पर उसी से युद्ध छेड़ देता है तो उसे
द्धि-आश्रित वैषीभाव कहते है ( २९,५०)। क्योंकि इस से विजिगीषु की विजय निश्चित होती है।
___ कुछ ग्रन्थों में द्वैधीभाष का अर्थ अन्य प्रकार से ही व्यक्त किया गया है। विष्णुपुराण में सेना को दो भागों में विभाजित करने को द्वैषीभाव कहा गया है। शुक्र के अनुसार अपनी सेना को पृथक्-पृथक् गुल्मों में विभाजित करना द्वैधीभाव है ।
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१. कौ० अर्ध०५, १ ।
उपेक्षगमासनम्। २. वही, ७,१। ३. शुक्र० ४.१०६६। ४, विष्णु०२, १५०:३५ । ५. शुन .१०७०।
धीमात्रः संन्यानो स्थापय गुतमगुरमतः ।
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नीसिवाक्यामृत में राजनीति