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आचार्य ने यहां तक लिखा है कि यदि राजपुत्र ने भी अपराध किया हो तो उसे भी अपराधानुकूल दण्ड मिलना चाहिए--- ___ अपराधानुरूपो दर: पुनेऽपि प्रणेतव्यः ।
-नीतिया० २६, ४१
दण्ड का प्रयोजन
स्मृतियों में दण्ड के चार उद्देश्यों अथवा सिद्धान्तों का वर्णन मिलता है। दण्ड का प्रथम सिद्धान्त अथवा उद्देश्य प्रतिशोधारमक भावना से दण्ड देना था। जिस व्यक्ति को हानि पहुँचती है उस के मन में स्वभावत: बदले की भावना जागृत होती है। यह भी अपराधी को उसो प्रकार की हानि अथवा चोट पहुँचाने की चेष्टा करता है । जिस प्रकार की हानि में पहुँचायी गयी है उसी प्रकार की हानि वह भी उसे पहुँचाने का प्रयत्न करता है। किन्तु सभ्य समाज में प्रत्येक व्यक्ति को इस प्रकार का अधिकार नहीं दिया जा सकता । इस से समाज को शान्ति भंग होने को आशंका होती है । अतः .. राजा का यह पुनीत कर्तव्य है कि वह अपराधी को उचित दण्ड देकर जिस की हानि हुई है, उस की प्रतिशोध की भावना को शान्त करे ।
भय अथवा आतंक स्थापित करने का सिद्धान्त-दण्ड का द्वितीय उद्देश्य अपराधी के हृदय में भय उत्पन्न करना है। अपराधी को ऐसा दण्ड दिया जाये जो दूसरों के लिए उदाहरणस्वरूप हो, जिस से कि वह अपराधी तथा समाज के अन्य व्यक्ति फिर अपराध करने का साहस न कर सके । कठोर दण्ड के भय से व्यक्ति अपराध करने का साहस नहीं कर सकते । क्लेश दण्ड, अंग-भंग का दण्ड, मृत्यु दण्ड आदि का उद्देश्य यही होता है। इस प्रकार इस सिद्धान्त का प्रयोजन समाज को दुओं से सुरक्षित रखना और उस को सुग्घ एवं समृद्ध बनाना हो है।
निरोधक सिद्धान्त-दण्ड का तुतीय सिद्धान्त अथवा चद्देश्य अपराधी को अपराध करने से रोकना है। उदाहरणार्थ यदि अपराधी को किसी अपराध के कारण कारागार में बन्द कर दिया जाये तो उस को कुछ समय के लिए अपराध करने से रोक दिया जाता है अथवा उस अपराष को पुनरावृत्ति को समाप्त कर दिया जाता है। यदि वह निष्कासित कर दिया जाता है या उस को मुत्यु दण्ड दे दिया जाता है तो वह 'सदैव के लिए अपराध करने से रोक दिया जाता है।
सुधारवादी सिद्धान्त-दण्ड का चतुर्थ सिद्धान्त अपराधी में सुधार करना है। दण्ड एक प्रकार का प्रायश्चित्त समझा जाता है जो कि अभियुक्त को विशुद्ध कर के उस के चरित्र में सुधार करता है। इस प्रकार सुधार हो जाने पर वह फिर कभी अपराब करने की ओर अग्रसर नहीं होता।
नीतिवाक्यामृत में उपर्युक्त सिद्धान्तों का कोई स्पष्ट उल्लेख तो नहीं मिलता, किन्तु उस की विकीर्ण सामग्री के आधार पर यह बात निश्चित रूप से कही जा सकता
नोसिवाक्यामृप्त में राजनीति