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इसी प्रकार की गयी है । सोमदेव के अनुसार आयव्यय, स्वामिरक्षा, तन्त्र पोषण तथा सेना की उचित व्यवस्था करना अमात्य का अधिकार बतलाया है (१८, ६) ।
आचार्य कौटिल्य ने मन्त्री एवं अमात्य का भेद अर्थशास्त्र में स्पष्ट कर दिया है । कोटिल्य अमात्य आदि के सम्बन्ध में अन्य आचार्यों के मत उद्धृत करने के उपरान्त अन्त में लिखते हैं कि भारद्वाज के सिद्धान्त से लगाकर अभी तक जो कुछ अमात्य के सम्बन्ध में कहा गया है वह सब ठीक है, पयोंकि पुरुष के सामर्थ्य की व्यवस्था, उनके कार्यों के सफल होने पर तथा उन की विद्याबुद्धि के बल पर ही की जा सकती है। इस लिए राजा सहाध्यायी आदि का भी सर्वथा परित्याग न करे, किन्तु इन सब को ही उन को कार्यक्षमता के अनुसार उन को बुद्धि आदि गुण, देश, काल तथा कार्यों का अच्छी तरह विवेचन कर के अमात्य पद पर नियुक्त करे, परन्तु इन को अपना मन्त्री कदापि न बनाये |
इस वर्णन से स्पष्ट है कि अमात्य मन्त्रिपरिषद् के सदस्य होते थे, किन्तु उन को मन्त्रणा का अधिकार प्राप्त नहीं था । मन्त्रणा केवल सर्वगुणसम्पन्न, पूर्णरूपेण परीक्षित एवं विश्वसनीय मन्त्रियों से ही की जाती थी। परीक्षोपरान्त अमात्यों में से ही मन्त्री नियुक्त किये जाते थे । इस प्रकार मन्त्रिपरिषद् के सदस्यों की संख्या तो "अधिक होती थी, किन्तु अन्तरंग परिषद् में केवल तीन या चार मन्त्रो होते थे और उन्हीं के साथ राजा गूढ़ विषयों पर मना करता था। हनी की पुष्टि होती है ।
बात
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मन्त्रियों की नियुक्ति
जिस प्रकार राजा का पद वंशानुगत था उसी प्रकार मन्त्रियों की नियुक्ति भी इसी सिद्धान्त के आधार पर होती थी। राजा के अन्य कर्तव्यों के साथ मन्त्रियों की नियुक्ति करना भी उस का एक महत्त्वपूर्ण कर्तव्य समझा जाता था । राजा अपनी इच्छानुसार मन्त्रियों की नियुक्ति नहीं कर सकता था, अपितु उन की नियुक्ति करते समय धर्मशास्त्रों एवं अर्थशास्त्रों में उन के सम्बन्ध में निर्धारित नियमों को ध्यान में रखना परम आवश्यक था ।
मन्त्रिपरिषद् के सदस्यों की योग्यता
मन्त्रियों की योग्यता अथवा गुणों के सम्बन्ध में अन्य भाषायों की भाँति सोमदेव ने भी पर्याप्त प्रकाश डाला है। प्रधानमन्त्री के गुणों का उल्लेख करते हुए वे लिखते हैं कि राजा का प्रधानमन्त्री द्विज, स्वदेशवासो, सदाचारी, कुलीन, व्यसनों से रहित,
१. कामन्दक १३, २३-९४ तथा अग्निपुराण २४२, १६-१८ |
२. कौ० अ०१८ ।
३. महा० शान्ति० ८३, ४७
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नीतिवाक्यामृत में राजनीति