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आचार्य सोमदेव राजा को उसी समय युद्ध करने का परामर्श देते हैं जब अन्य सभी अपाय असफल हो गये हो । ३०, २५)।
आचार्य कौटिल्य ने भी राजा की रक्षा के सम्बन्ध में बड़े विस्तार के साथ अपने ग्रन्थ अर्थशास्त्र में महत्त्वपूर्ण उपायों का वर्णन किया है। उन्होंने उन सभी बातों पर प्रकाश डाला है जिन से राजा को सचेत रहने की आवश्यकता है तथा जिन की उपेक्षा करने से उस के प्राण संकट में पड़ सकते है ।
___ मनु ने भो राजरदा के विषय में महत्त्वपूर्ण निर्देश दिये हैं। राजा को चाहिए कि वह सम्पूर्ण भोज्य पदार्थों में विष-नाशक औषधि नियोजित करे। इस के अतिरिक्त विष-नाश करने वाले रस्नों का भी सर्वधा धारण करें। मनु ने राजा के आत्मरक्षा के सिद्धान्त को बहुत महत्त्व दिया है। वे लिखते हैं कि संकटकाल के निवारणार्थ राजा को कोश की रक्षा करनी चाहिए। अपनो स्त्री की रक्षा धन की हानि सहकर भी करनी चाहिए, परन्तु अपनी रक्षा धन और स्त्री का बलिदान कर के भी करनी चाहिए। अपनी रक्षा के लिए यदि अपनी भूमि का भी त्याग करना पड़े तो वह भी करना पाहिए, चाहे वह भूमि उपना और हर भी सवालों हो
इस प्रकार सभी आचार्यों ने राजा की रक्षा को बहुत महत्त्व प्रदान किया है क्योंकि राजा को रक्षा में ही सघ की रक्षा है, जैसा कि आचार्य सोमदेव का मन है (२४, १)। राजा का उस राधिकारी
आचार्य सोमदेव ने इस बात को ओर भी संकेत किया है कि राजा का उत्तराधिकारी किम-किन गुणों से विभूषित होना चाहिए। इस सम्बन्ध में वे लिखते है कि जो राजपुत्र कुलीन होने पर भी संस्कारों, नीतिशास्त्रों का अध्येता और सदाचार आदि गुणों से रहित है उसे राजनीति के विद्वान माण पर न चढ़े हुए रत्त के समान युवराजपद पर आरूढ़ होने के योग्य नहीं मानते (५, ३९)। इस का अभिप्राय यही है कि राजपूत्र को राजनीतिक ज्ञान और सदाचार रूप संस्कारों से सुसंस्कृत होना चाहिए, जिस से वह युवराजपद पर आरू होने के योग्य हो सके 1 शारीरिक मनोज्ञाकृति, पराक्रम, राजनीतिकज्ञान, प्रभाव (सैन्य ब कोश शक्ति से युक्त) और विनम्रता राजकुमारों में विरामान घे सद्गुण उन्हें भविष्य में प्राप्त होने वाली राज्यश्री के सूचक चिह्न है (१५, ९)।
सोमदेव ने राजकुमारों की शिक्षा पर विशेष बल दिया है। राजकुमार को पहले सार्वजनिक सभाओं के योग्य भाषणकला में कुशल बनाये, तत्पश्चात् समस्त भाषाओं को शिक्षा, गणित,साहित्य, न्याय, ध्याकरण, नीतिशास्त्र, रत्नपरीक्षा, शस्त्रविद्या, हस्ती और अश्वादि वाहन विद्या में अच्छी प्रकार दक्ष बनाये ( ११, ४)। जिन राजकुमारों १. कौल अर्थः १. २०-२१ । २. मनु०७, २१५-२० ।
नीतिवाक्यामृत में राजनीति