Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 26
________________ अभेदोपचार अमृतरस अभेदोपचार-११३१ अ, उपचार १८१६ अ, नय अमर-रक्ष-राक्षसवश १३३८ । २५५६ ब स्याद्वाद ४५०१ ब। अमरसेनचरिउ-इतिहास १.३४६ ब । अभेद्य-११३१ अ, भरत चक्रवर्ती ४१५ अ । अमरावती-४४४५ अ । अभोक्ता-राग २ ३६६ ब, सम्यग्दृष्टि ४३७६ अ । अमरेन्द्र कौति-न्दिसघ १३२४ अ । अभोक्तृत्व शक्ति--१ १३१ अ। अमर्यादित (भोजन)--१.१३२ अ, भक्ष्याभक्ष्य ३.२०२ ब । अभोज्य-३५२५ ब, गृहप्रवेश १२६ अ । अमलप्रभ-2 १३२ अ, तीर्थंकर २ ३७७ । अभोज्य गहप्रवेश-आहारान्तरराय १२६ अ। अमात्य--११३२ अ । अभ्यंगस्नान-४४७१ ब । अमावस्या-११३२ अ, चन्द्र की गतिविधि २३५१ अ। अभ्यतर-११३१ अ, उपाधि १४२७ अ, ३६२३ ब, लवणसागर पर प्रभाव ३४६० । करण २६११ ब, कषाय २३५ ब, ग्रन्थ ३२८ अ, अमित-कुबेर का यान ४.५१३ अ। तप २३५६ अ, २३६१, तप.कर्म २२६ अ, त्याग अमितगति-१.१३२ अ, माथुर संघ प्र० १३२७ ब, ३ २६ ब, नेत्र २४६८ ब, धर्मध्यान २४८१ अ, द्वि० १३२७ ब, यदुवश १३३७ । इतिहास-प्र० परिग्रह १४२७ अ, ३.२८ अ, ३.६२३ ब, परिषद १३३० अ, १ ३४२ ब, द्वि० १.३३० ब, १३४३ अ। ३५६ अ, प्रत्यय ३१२५ ब, प्रत्यय कषाय २३५ ब, अमितगति (देव)-दिक्कुमारेन्द्र ३.२०८ ब, परिवार मल ३.२८८ अ, व्यास २.२२३ ब, व्युत्सर्ग ३.६२३ ब, ३२०६ अ, निवास ३२०९ ब, आयु १.२६५ ।। सल्लेखना ४ ३८२३ अ, ४.३८३ अ, सूची २२३३ ब, अमितगति श्रावकाचार-१.१३२ अ, इतिहास १३४३ अ। हेतु २.५४ अ, २६२ अ, ब, २७२ ब । अमित तेज-१.१३२ ब । अभ्यन्तरोपधि व्युत्सर्ग-३६२३ ब । अमितप्रभ-यदुवश १ ३३७ । अभ्यस्त-१.१३१ अ, गणित २२२२ ब । अमितमति-४२३। अभ्याख्यान-१.१३१ अ । अमितवाहन (देव)---दिक्कुमारेन्द्र ३२०८ ब, परिवार अभ्यागत-१.१३१ अ। ३२०६ अ, निवास ३ २०६ ब, आयु १.२६५। अभ्यास-११३१ अ, जिनागम ४.५२५ अ, सस्कार अमितसेन–११३२ ब, पुन्नाट सघ १ ३२७ अ, इतिहास ४.१४६ ब। १.३२६ ब। अभ्युत्थान-१.१३१ ब, विनय ३ ५५२ अ, ब, ३.५५३ अ। अमितांग-४१० अ । अभ्युदय-१.१३२ अ, सुख ४.५२४ अ । अमुख मंगल-१.१३२ ब, अमुख्य मगल ३ २४१ ब । अभ्युपगम सिद्धान्त-१.१३२ अ, ४.४२७ ब, नैयायिक अमूढदृष्टि-१.१३२ ब । दर्शन २६३३ ब। अमर्त-१.१३३ अ, गुण २२४४ ब, द्रव्य २.४५६ अ, अभ्र---१.१३२ अ, स्वर्गपटल-निर्देश ४५१६, विस्तार सापेक्ष धर्म १.१०६ अ, ४३२३ ब, बन्ध ३.१७३ अ, ४.५१६, अकन ४५१६ ब । देव-आयु १.२६७ । मन.पर्यय ज्ञान ३.२६३ अ, मूर्त ३.३१६ अ, स्पर्श अभावकाश-योग का अतिचार २.४८ अ, शय्यासन तप ४.४७६ ब । २.४७ ब। अमर्तत्व-३ ३१६ अ, शक्ति ३ ३१६ ब । अमनस्क-४.१२२ अ । अमत-अनुभाग १.६० ब, कुम्भ २.२८८ ब, भरत चक्रवर्ती अमनोज्ञ--३.२६ ब । ४.१५ ब, सदृश ४ २७० ब । अमम-१.१३२ अ, कालप्रमाण २.२१६ अ, २.२१७ अ। अमतकल्प-४१५ ब । अममांग-१.१३२ अ, कालप्रमाण २.२१६ अ, अमतकुम्भ-अप्रतिक्रमण २.२८८ ब । २.२१७ अ। अमृतगर्भ-४.१५ ब । अमर-सुमतिनाथ २३८७ । हरिवंश १.३४० । अमृतचन्द्र-१ १३३ अ, इतिहास १३३० अ, १.३४२ अ । भमरकीति गणी-इतिहास १.३३२ अ, १.३४४ ब । अमृतधारा-१.१३३ अ, ३.५४५ ब । अमरकोष टीका-आशाधर १.२८० ब, इतिहास (क्रिया- अमृतप्रभ-यदुवश १.३३७ । कलाप) १.३४४ अ। अमृत बल-इक्ष्वाकुवश १.३३५ अ । अमरप्रभ-१.१३२ अ, वानरवंश १.३३८ ब । अमृतरस-ऋद्धि १.४५६ अ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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