Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
View full book text
________________
अप्रत्यवेक्षित
८
अभयचन्द्र
.
१४१२, सत्त्व ४२८२ सत्त्वस्थान ४२६६,४३०५, ३३६५ अ, वेद ३५८८ ब, वेद्य ३५६२ अ। त्रिसयोगी भग १४०६ ब। सत ४२०६, सख्या अप्रशस्त विहायोगति-३५७३ ब । प्ररूणाएं -प्रकृति ४१०१,क्षेत्र २२०१, स्पर्शन ४.४८४, कान २१०७, ३८८, ३ ५७३ ब, स्थिति ४४६६, अनुभाग १.६५ब,
अन्तर ११२, भाव ३.२२० ब, अल्पबहुत्व ११४६ । प्रदेश ३१३६ । बन्ध३९७, बन्धस्थान ३.११०, अप्रत्यवेक्षित-११२६ अ, उ.सर्ग १३६३ अ, निक्षेप उदय १३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११, १५० अ।
सत्त्व ४ २७६, सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसंयोगी भग अप्रत्याख्यान -११२६अ, क्रिया २.१७४।
१४०४, सक्रमण ४८५, अल्पबहुत्व ११६७ । अप्रत्याख्यानावरण (कर्मप्रकृति)-११२६ अ, कषाय अप्रसिद्ध-३.२ ब ।
२३५ ब, २३८ अ, २३६ अ। प्ररूपणा-प्रकृति अप्राप्त काल-११२६ ब । ३८८, ३.३४४ अ, स्थिति ४४६१. स्थितिसत्त्व अप्राप्यकारी-११२६ ब, इन्द्रिय १३०३-३०४, ४३०८, अनुभाग १६४ ब, प्रदेश ३ १३६, बन्ध ३ २५८ अ, अवग्रह ११८३ ब । ३६७, बन्धस्थान ३१०६, उदय १३७५, उदय
अप्रासुक-३२०४ ब । स्थान १३७९, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान
अप्रिय-४२७२ ब, वचन ३ ४६७ ब । १४१२, सत्त्व ४२७८ सत्त्वस्थान ४२६५, सत्त्व ।
अप्रेरक-कारण २६१२ अ। स्थान अल्पबहत्व ११६५ ब, त्रिसंयोगी भग १४०१, अबंध-११२६ ब, आयुकर्म १२६३ अ, ज्ञानी सक्रमण ४८५ अ, अल्पबहुत्व ११६८ ।
४३७५ ब, ४ ३७६ ब, बन्ध ३ १७२ अ। अप्रदेश--अनन्त १५५ ब, असंख्यात १२०६ अ, परमाणु
अबद्ध-११२७ अ, कारण २५६ ब । ३१८ अ।
अबद्धायुष्क-जन्म २३१३ ब, बन्ध-उदय-सत्त्वस्थान अप्रदेशी-११२६ ब, द्रव्य २४५५ ब, परमाणु ३१८ अ ।
१४००। अप्रमत्तसंयत -असत्य मनोयोग ३ ३८० अ, अहिसक
__ अबध्यदेश-सुबाहु २३६२ । १२१६ अ, आरोहण-अवरोहण २२४७, उपशम
अबब-सख्या प्रमाण २२१४ ब । १४३६ ब, करण दशक २६ अ, कषाय २४० व,
अबला-४४५० अ । काय २४५ ब, क्षीणकषाय २४७ ब, प्रमत्त (सयत)
अबाधित-३२ ब। ४१३० अ, सज्ञा ४१२२ ब, सयत ४१३० अ, अबद्धिपूर्वक-निर्जरा १७५ ब, २६२२ ब, बुद्धि ४१३१ ब, समुद्घात ४३४३ अ।
३१८४ ब, राग ३ ३९६ अ। अप्रमत्तसंयत (प्ररूपणा)-बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३११०, अब्बहल भाग-११२७ अ, विस्तार ३३८६ ब, बिलो
प्रदेश निर्जरा अल्पबहुत्व ११७४, उदय १३७५ ब, का प्रमाण २५७, अकन ३४४१, चित्र ३.३८६। उदयस्थान १३६२ अ, उदीरणा १४११, उदीरणा अब्बद-सख्या प्रमाण २२१४ ब । स्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, स्थितिसत्त्व का अल्प- अब्भोब्भव-११२७ अ, वसतिका दोष ३५३८ब । बहत्व ११७४, सत्त्वरथान ४२८८, ४३०४, अब्रह्म-११२७ अ, ब्रह्मचर्य ३१६२ ब, हिंसा १.२१७ अ, त्रिसयोगी भग १४०६ अ। सत् ४१६३, सख्या ४५३२ ब। ४.६४, क्षेत्र २१६७, स्पर्शन ४४७७, काल २६६,
सन ४४७७, काल २६६, अभक्ष्य-३२०२ अ। अन्तर १.७, भाव ३ २२२ ब, अल्पबहुत्व ११४३। अभयकर-११२७ अ, ग्रह २२६३ अ। अप्रमाण-अवग्रह ११८२ ब, उपचार १४२२ अ, युक्ति अभय-११२७ अ, अनुत्तरोपपादिक १७० ब, मूलसंघ
विरुद्ध १२३६ ब । अप्रमाद-प्रमाद ३१४६ अ ।
अभयकोति-नन्दिसघ १३२३ ब, काष्ठासघ १३२७ अ, अप्रमार्जित-उत्सर्ग १३६३ अ।
इतिहास १३३४ अ। अप्रयत-हिंसा ४५३५ ब ।
अभयकुमार.---११२७ अ, मगधदेश १३१० ब । अप्रशस्त-११२६ ब, उपशम १४३७ अ, ध्यान २४६ अ, अभयचन्द्र-११२७ अ, काष्ठासघ १३२७ अ, नन्दिसंघ
निदान २६० अ, नोआगम ३१५६ ब, मोह १३२३ ब । इतिहास-प्रथम १.३३२ अ, १.३४५ अ। ३३४० ब, राग (उपयोग) १४३३ ब, राग द्वितीय १३३२ अ, १.३४५ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 ... 307