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गुणस्थान
१
२
३
४
५
७
उपशम
६-११
१०
११
३. अन्तर विषयक ओघ प्ररूपणाः
नाना जीवापेक्षया
प्रमाण
सू
१३
१४
५
ε
६
८ १२
ह
&
१२
१२
१२
क्षपक
८-१२ १६
१६
९६
जघन्य
"
निरन्तर
१ समय दे अन्तर ३ / ५ ६
अपेक्षा
D
निरन्तर
3
सू
13
१ समय ७-८ जन ऊपर १३
चढें तब १समय
के लिए अन्तर
पड़े
13
ह
ह
ह
१३
१३
७-८ या १०८ जन ऊपर चढने पर
अन्तर होता है। निरन्तर
१६
१ समय ८-१२ तक की १७
भाँति
१७
उत्कृष्ट
23
निरन्तर
पश्य / | दे अन्तर ३/६ ७
असं
"
33
ष ख ५/१-६/ सूत्र स टीका सहित
ध ५ /पृ. १-२१
६ मास
अपेक्षा
::
»
निरन्तर
"
"
כ
वर्ष पृ. ७-८ जनें ऊपर १४ चढें तम
39
प्रमाण
35
निरन्तर
३
७
१०
१०
१०
१०
१४
१४
१४
१८
२०
१८
जघन्य
अन्तर्मुहूर्त
पन्य/अस.
अन्तर्मुहूर्त
33
り
...
अपेक्षा
दे अन्तर ३/१
दे अन्तर २/६/१
४६ या में जा पुन
६ठे से बाँ पुन ६ठा । नीचे उतर कर जघन्य अंतर प्राप्त नहीं होता । ७ वें से उपशम श्रेणी पुन ७वाँ । नीचे उतर कर जघन्य अन्तर नहीं होता।
एक जीवापेक्षया
प्रमाण
गुणस्थान परिवर्तन
८
४५ के बोल गुणस्थान परिवर्तन ११
यथाक्रम ८, ६, १०, १९ में चढ कर नीचे गिरा
"
13.
यथाक्रम ११ से १०६.८, ७-६,
८, ६, १०, ११
रूप से गिरकर
ऊपर चढना
पतनका अभाव
"
22
सू
४
८
१९.
११
१५
१५
१५
१५
१८
२०
१८
उत्कृष्ट
२x६६ सागर अन्तर्मुहूर्त अर्ध. पु. परि १४ अन्तर्मुहूर्त
+ १ समय
"
अर्थ, पु. परि - ११ अन्तर्मु.
परि
अर्ध १० अन्तर्मुहूर्त
3"
अपेक्षा
.:
दे अन्तर ३ / ४
सासादन
प्रथमोपमसे मिध्याय पुन जैसे ही वेदक, क्षायिक व मोक्ष
"
२८
अर्ध पु. परि. | अनादि मिध्यादृष्टि यथाक्रम ११वें जाकर वें को प्राप्त करता हुआ नीचे गिरा । पुन ८,६.१०.११.१०. १.८,७-६,८,९,१०,१२,१३,१४ म
-२६ अन्तर्मु यथायोग्यरूपेश उपरोक्त
,,-२४
२२
सासादनवत्
मिध्यात्व प्रथमोपशम अन्तर्मुहूर्त तक २रे ३रे आदिमें रहकर मियाल १० अन्तर्मुहूर्त संसार शेष रहने पर पुन सम्यक्त्व प्रथमोपशम के साथ वॉ। आगे उपरोक्तवत्
पहले ही प्रथमोपशम के साथ प्रमत्त । आगे उपरोक्तवत्
उपरोक्तवत् ( ६ठे के स्थान पर ७)
पूर्व क फिर
पतनका अभाव