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श्वेताम्बर श्रमण संघ का प्रारम्भिक स्वरूप
६. वही, प्रथम भाग, पृष्ठ-११-११. ७. वही, प्रथम भाग, पृष्ठ-११.
प्राध्यापक मधुसूदन ढांकी से व्यक्तिगत चर्चा के आधार पर. नन्दीसूत्र, संपादक-आचार्य श्रीआत्मारामजी महाराज, श्री जैन शास्त्रमाला, ग्रन्थांक-८, आचार्य श्री आत्माराम जैन प्रकाशन समिति, लुधियाना १९६६ ई०, मंगलाचरण गाथा-२२ और आगे.
प्राध्यापक ढांकी से व्यक्तिगत चर्चा के आधार पर. ११. नंदीचूर्णी, संपा० मुनि पुण्यविजय, प्राकृत ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक-९,
अहमदाबाद १९६६ ईस्वी, प्रस्तावना, पृष्ठ-४. १२. नंदीसूत्र, संपा० आचार्य श्रीआत्मारामजी, मंगलाचरण, गाथा-४८,
पृष्ठ-४८. १३. द्रष्टव्य संदर्भ क्रमांक-७ और ८. १४. मुनि कल्याणविजय गणि, संपा० पट्टावलीपरागसंग्रह, जालोर १९६६
ईस्वी, पृष्ठ-५४-६१. १५. नन्दीसूत्र, संपा० आचार्य आत्मारामजी, प्रस्तावना, पृष्ठ-२३-२४. १६. आचार्य हस्तिमलजी, जैन धर्म का मौलिक इतिहास, भाग-२, जयपुर
१९६७ ईस्वी, पृष्ठ-६८०-८६. १७-१८. वही, भाग-२, पृष्ठ-६८०-८१. १९. नन्दीचूर्णी, संपा० मुनि पुण्यविजयजी, प्रस्तावना, पृष्ठ-४. २०. प्राध्यापक ढांकी से व्यक्तिगत चर्चा के आधार पर २१. A. K. Chatarjee, A Comprihensive History of Jainism,
Vol.I, Calcutta 1984 A.D. P-3. २२. Chatarjee, Ibid, P-23. २३. बृहत्कथाकोश, संपा० आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये, सिंघी जैन
ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक-१७, मुंबई १९४३ ई०, "भद्रबाहुकथानकम्",
पृष्ठ-३१७-३१९. २४. M. L. Mehta & K. R. Chandra, Ed. Prakrit Proper Names,
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