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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास वि०सं० ११९९-१२३० के समकालीन) वि०सं० ११७२-१२१२ प्रतिमालेख
देवगुप्तसूरि
वीरदेव उपाध्याय
|---द्विवंदणीकशाखा प्रारम्भ-----
सिद्धसूरि [वि०सं० १२६१] प्रतिमालेख देवगुप्तसूरि [पट्टावली के अनुसार
वि०सं० १२७८ में पट्टधर बने, वि०सं० १३३० में
मृत्यु; वि०सं० १३१४| १३२३ प्रतिमालेख] सिद्धसूरि [वि०सं० १३४६-१३७३]
प्रतिमालेख; शत्रुञ्जय तीर्थोद्धारक समरसिंह के
गुरु कक्कसूरि [वि०सं० १३७६-१४१२] । प्रतिमालेख;वि०सं०१३९३
में नाभिनन्दनजिनोद्धारप्रबंध एवं उपकेशगच्छ
प्रबंध के कर्ता] देवगुप्तसूरि [वि०सं० १४३२-१४७६]
। प्रतिमालेख सिद्धसूरि [वि०सं० १४७७-१४९८]
प्रतिमालेख
+---ककुदाचार्यसंतानीयशाखा प्रारम्भ----
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