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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास वि० सं० १५५८ फागुण वदि २ बुधवार शांतिनाथ की प्रतिमा का लेख, प्रतिष्ठा स्थान-सुपार्श्वनाथ जिनालय, जैसलमेर । वि० सं० १५६६ माघ सुदि पंचमी६८ आदिनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख प्रतिष्ठा स्थान - आदिनाथ जिनालय, भायखला, मुम्बई । वि० सं० १५७२ फाल्गुन वदि ४ गुरुवार कुन्थनाथ एवं संभवनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख प्रतिष्ठा स्थान-पाटण । वि०सं० १५७८ माघ वदि ८ सोमवार कुन्थुनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख प्रतिष्ठा स्थान-आदिनाथ जिनालय, भायखला ।
इस गच्छ का उल्लेख करनेवाला अन्तिम प्रतिमा लेख वि० सं० १६६४७२ का है, जो बीकानेर के नाहटों की गुवाड़ स्थित ऋषभदेव जिनालय की भण्डारस्थ एक खंडित प्रतिमा पर उत्कीर्ण है । इस लेख में प्रतिष्ठापक आचार्य का नाम नष्ट हो गया है।
साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर इस गच्छ के आचार्यों की लम्बी गुर्वावली निर्मित होती है जो इस प्रकार है
जिनदेवसूरि (वि०सं० १०००) अनुमानित
भावदेवसूरि (वि० सं० १०२५) अनुमानित
विजयसिंहसूरि (वि० सं० १०५०) अनुमानित
(वीरसूरि) (वि० सं० १०८०) में वर्धमान
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