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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
शांतिनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख
अनुपूर्ति लेख, आबू
इस शाखा से सम्बद्ध चतुर्थ लेख वि० सं० xx१४ का है । यह चित्तौड़ से प्राप्त हुआ है । त्रिपुटी महाराज ने इसकी वचना इस प्रकार दी है१६ :
"संवत् xx१४ वर्षे मार्गसुदि ३ श्री चैत्रपुरीयगच्छे श्रीवुडागणि भतृपुर महादुर्ग श्री गुहिलपुत्रवि xxx हार श्रीबडादेव आदिजिन वाभांग दक्षिणाभिमुखद्वारगुफायां कलिं श्रुतदेवीनां चतु xxलानां चतुर्णां विनायकानां पादुकाघटितसहसाकारसहिता श्रीदेवी चित्तोडरी मूर्ति xx श्रीध्र (भ) तृगच्छीय महाप्रभावक श्री आम्रदेवसूरिभिः xxx श्री सा० सामासु सा० हरपालेन श्रेयसे पुण्योपार्जना x व्यधियते ।"
यद्यपि इस लेख के प्रथम दो अंक नष्ट हो गये है, फिर भी लेख की भाषा शैली पर राजस्थानी भाषा के प्रभाव को देखते हुए इसे १६वीं शती के प्रारम्भ अर्थात् वि० सं० १५१४ का माना जा सकता है
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भर्तृपुरीय शाखा से सम्बद्ध उक्त लेखों से यद्यपि कई मुनिजनों के नाम ज्ञात होते हैं, किन्तु उनके आधार पर इस शाखा के मुनिजनों की गुरुपरम्परा की कोई लम्बी तालिका नहीं बन पाती है ।
२. थारणपद्रीय शाखा - यद्यपि प्रतिमालेखों में 'धारणपद्रीय' नाम मिलता है, जो संभवतः थारणपद्रीय होना चाहिए । इस शाखा से सम्बद्ध २५ प्रतिमालेख प्राप्त हुए हैं, जो वि० सं० १४०० से वि० सं० १५८२ तक के हैं । इनका विवरण इस प्रकार है :
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