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थारापद्रगच्छ
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नामसाम्य के आधार पर इन्हें वादिवेताल शान्तिसूरि के प्रगुरु सर्वदेवसूरि से अभिन्न माना जा सकता है । इस प्रकार थारापद्रगच्छ के मुनिजनों के गुरु-परम्परा के एक नवीन तालिका बनती है, जो इस प्रकार हैं :
वटेश्वरसूरि
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(सर्वदेवसूरि) |
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I ज्येष्ठाचार्य
शांतिभद्रसूरि [ प्रथम ]
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सिद्धान्तमहोदधि सर्वदेवसूरि |
विजयसिंहसूरि
T वादिवेतालशांतिसूरि [ उत्तराध्ययनसूत्रपाइयटीका, बृहद्शान्तिस्तव, जीवविचारप्रकरण, चैतन्यवन्दमहाभाष्य आदि के कर्त्ता
वि० सं० १०९६/ ई सन् १०४० में मृत्यु
शालिभद्रसूरि [ प्रथम ]
T शांतिभद्रसूरि [ द्वितीय]
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पूर्णभद्रसूरि
वि० सं० २०८४ / ई० स १०२८ एवं वि० सं० १११० / ई सन्० १०५४
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