________________
५५८
जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
६ - मलयचन्द्र के शिष्य महीतिलकसूरि महीतिलकसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित १२ प्रतिमायें उपलब्ध हुई हैं, इनकी कालावधि वि० सं० १४८३ से वि० सं० १५१९ है ।
७- पद्मशेखरसूरि के पट्टधर विजयचन्द्रसूरि
पद्मशेखरसूरि के पट्टधर विजयचन्द्रसूरि द्वारा वि० सं० १४८३ से वि० सं० १५०४ के मध्य प्रतिष्ठापित १७ प्रतिमायें आज उपलब्ध हैं । ८ - महीतिलकसूरि के पट्टधर विजयप्रभसूरि
विजयप्रभसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित २ प्रतिमायें उपलब्ध हैं जिनपर वि० सं० १५०९ का लेख उत्कीर्ण है ।
९ - विजयचन्द्रसूरि के पट्टधर पद्माणंदसूर
पद्माणंदसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित ३१ प्रतिमायें आज उपलब्ध हैं जो वि० सं० १५०५ से वि० सं० १५३७ के मध्य की हैं 1
१० - विजयचन्द्रसूरि के शिष्य साधुरत्नसूरि
साधुरत्नसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित २३ प्रतिमायें अद्यावधि उपलब्ध हैं जो वि० सं० १५०८ से १५३२ तक की हैं ।
११- पद्माणंदसूरि के पट्टधर गुणसुन्दरसूरि
गुणसुन्दरसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित केवल १ प्रतिमा मिली है । यह प्रतिमा भगवान् कुन्थुनाथ की है। प्रतिमा पर वि० सं० १५२३ का लेख उत्कीर्ण है।
१२- पद्मानंदसूर के (द्वितीय) पट्टधर नंदिवर्धनसूरि
नंदिवर्धनसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित १० प्रतिमायें मिली हैं जो वि० सं० १५५५ से वि० सं० १५७७ तक की हैं I
इन प्रतिमालेखों के आधार पर धर्मघोषगच्छ के आचार्यों की जो तालिका निर्मित होती है, वह इस प्रकार है
Jain Education International
—
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org