Book Title: Jain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 01
Author(s): Shivprasad
Publisher: Omkarsuri Gyanmandir Surat

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Page 712
________________ नाणकीयगच्छ ६७१ पीहरनउ नाम सरूपां । को० श्री नेतस्यंघेन । श्रीनाणावालगच्छे मुनि श्री शांतिसूरि संताने भ० श्री सिद्धसेनसूरि श्री धनेसरसूरि श्री महेद्रसूरि श्री शांतिसूरि तत्पट्टे श्रीसिद्धसेणसूरि जयवंता वा० श्री भावसुन्दरेण प्रदत्तवान् । सुराणां पुण्यार्थं लिषापितवान् ॥ शुभं भवतु || श्रीप्रशस्ति संग्रह : संपा० - अमृतलाल मगनलाल शाह ( अहमदाबाद वि० सं० १९९३) भाग २, क्रमांक ३३४ पृ० ९३ मुनि जयन्तविजय- संपा० अर्बुदाचलप्रदक्षिणाजैनलेखसंदोह (आबू, भाग-५) लेखांक ३६७. वही, लेखांक ३६८. वही, लेखांक ३६९. बुद्धिसागरसूरि - जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, भाग-१, लेखांक ११७९. ७. मुनि जयन्तविजय- पूर्वोक्त, लेखांक ३१८. ८. वही, लेखांक ३७१. m 3 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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