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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास वादीन्द्र धर्मघोषसूरि
देवेन्द्रसूरि
देवप्रभसूरि
रत्नप्रभसूरि
जिनचन्द्रसूरि
पजून (प्रद्युम्नसूरि)
भुवनचन्द्रसूरि
मुनिचन्द्रसूरि
आनन्दसूरि (वि० सं० १२ + ९) दिलवाड़ा, आबू
अमरप्रभसूरि
ज्ञानचन्द्रसूरि (वि० सं० १३७८, आबू)
गुणचन्द्रसूरि [वि० सं० १३३९
करेड़ा]
रत्नाकरसूरि [वि० सं० १३४३
शत्रुञ्जय]
मुनिशेखरसूरि (वि० सं० १३९६, आबू)
धर्मघोषगच्छीय आचार्य अमरप्रभसूरि के शिष्य ज्ञानचन्द्रसूरि द्वारा वि० सं० १३७४ से १३९६ के मध्य प्रतिष्ठापित कुछ जिन प्रतिमायें आबू स्थित विमलवसही तथा लूणवसही में विद्यमान हैं । इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है -
वि० सं० १३७४ वैशाख सुदि ४ बुधवार (१ प्रतिमालेख) वि० सं० १३७८ ज्येष्ठ वदि ९ सोमवार (२ प्रतिमालेख) वि० सं० १३७८ वैशाख वदि ९ (३ प्रतिमालेख) वि० सं० १३७८ तिथिविहीन (१३ प्रतिमालेख)
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