Book Title: Jain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 01
Author(s): Shivprasad
Publisher: Omkarsuri Gyanmandir Surat

View full book text
Previous | Next

Page 664
________________ ६२३ धर्मघोषगच्छ भूपालमालाप्रणतो निरीहः समग्रविद्यागुणलब्धिपात्रम् । सर्वत्र सत्कीर्तितपद्महस्तो मुदेऽस्तु नित्यं मलयेन्दुसूरिः ॥८९॥ श्रीराजगच्छाम्बुधिपूर्णचन्द्रः, समस्तविद्यापदमस्ततन्द्रः । प्रज्ञापराभूतसुरेन्द्रसूरि याच्चिरं श्रीमलयेन्दुसूरिः । विश्वोद्योतिशय:प्रतापविलसच्चन्द्रार्कसंशोभितोगुर्वानन्दनसौमनस्यकलितः सद्भद्रशालावनिः ॥१०॥ भूयान्मेरुरिव क्षमाभरधरो विख्यातनामा सतां । पूज्य: श्रीप्रभुपद्मशेखरगुरुः कल्याणदः शर्मणे ॥२१॥ "राजगच्छपट्टावली" विविधगच्छीयपट्टावलीसंग्रह, पृष्ठ ६९-७० १८. "राजगच्छपट्टावली' गाथा ८८-८९. १९. द्रष्टव्य-तालिका संख्या- ३. . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714