________________
धर्मघोषगच्छ
५५७ वि० सं० १३७९ ज्येष्ठ सुदि ९ शुक्रवार २ (१ प्रतिमालेख) वि० सं० १३८९ तिथिविहीन (१ प्रतिमालेख) वि० सं० १३९४ तिथिविहीन (१३ प्रतिमालेख) वि० सं० १३९६ वैशाखसुदि ८ (१ प्रतिमालेख) मिति/ तिथि विहीन
(३ प्रतिमालेख) धर्मघोषगच्छीय आचार्यों द्वारा प्रतिष्ठापित तीर्थङ्कर प्रतिमाओं में १५वीं-१६वीं शती की प्रतिमाओं की संख्या सर्वाधिक है। यह तथ्य उन प्रतिमाओं पर उत्कीर्ण लेखों से ज्ञात होता है । इन लेखों में यद्यपि इस गच्छ के अनेक आचार्यों का नामोल्लेख आया है, तथापि उनमें से कुछ आचार्यों के पूर्वापर सम्बन्ध ही निश्चित हो सके हैं। इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है -
१- ज्ञानचन्द्रसूरि के पट्टधर सागरचन्द्रसूरि- सागरचन्द्रसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित ८ प्रतिमा लेख अद्यावधि उपलब्ध हैं, जो वि० सं० १४२६ से वि० सं० १४६३ तक के हैं।
२- सोमचन्द्रसूरि के पट्टधर देवचन्द्रसूरि- वि० सं० १४२२ का १ प्रतिमालेख
३- सोमचन्द्रसूरि के पट्टधर मलयचन्द्रसूरि ।
मलयचन्द्रसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित ४ लेखयुक्त प्रतिमायें आज उपलब्ध हैं जो वि० सं० १४५९ से वि० सं० १४६५ तक की हैं।
४- मलयचन्द्रसूरि के पट्टधर पद्मशेखरसूरि
पद्मशेखरसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित १९ प्रतिमायें आज उपलब्ध हैं जो वि० सं० १४७४-१४९२ तक की हैं।
५- मलयचन्द्रसूरि के शिष्य विजयचन्द्रसूरि
विजयचन्द्रसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित १ प्रतिमा उपलब्ध है जो वि० सं० १४८३ की है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org