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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास सम्मिलित हो गये होंगे। यद्यपि त्रिपुटीमहाराज ने वि० सं० १६५१ में इस गच्छ के किन्ही देवानन्दसूरि के पट्टधर सोमसुन्दरसूरि के विद्यमान होने का उल्लेख किया है, परन्तु अपने उक्त कथन का कोई आधार या सन्दर्भ नहीं दिया है, अत: इसे स्वीकार कर पाना कठिन है ।
सन्दर्भ सूची
१. मुनि जिनविजय, संपा० विविधगच्छीयपट्टावलीसंग्रह, सिंधी जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ५३, बम्बई १९६९ ई० सन्, पृष्ठ ५२-५५.
मुनि जयन्तविजय, अर्बुदाचलप्रदक्षिणा, यशोविजय जैन ग्रन्थमाला, भावनगर १९४८ ईस्वी सन्, पृष्ठ ८७-९७.
२.
३-४. मोहनलाल दलीचन्द देसाई, जैनगूर्जरकविओ, भाग-१, नवीन संस्करण, संपा० डॉ. जयन्त कोठारी, बम्बई, १९८६ ईस्वी सन्, पृष्ठ ३३३.
".
६.
अमृतलाल मगनलाल शाह, संपा०, श्रीप्रशस्तिसंग्रह, अहमदाबाद वि० सं० १९९३, भाग - २, प्रशस्ति क्रमांक ३६६ पृष्ठ १००.
त्रिपुटी महाराज, जैन परम्परानो इतिहास, भाग- २, श्री चारित्र स्मारक ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ५४, अहमदाबाद १९६० ईस्वी सन्, पृष्ठ ५९९.
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