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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास वडगच्छीय देवचन्द्रसूरि
जिनचन्द्रसूरि
रामचन्द्रसूरि
[वि० सं० १४११ और १४१३ में जीरापल्ली तीर्थ पर दो देवकुलिकाओं के निर्माता ]
वीरसिंहसूरि
वीरचन्द्रसूरि
[वि० सं० १४२९-१४३८]
शालीभद्रसूरि
[वि० सं० १४४०-१४८३ ]
वीरभद्रसूरि उदयरत्नसूरि उदयचन्द्रसूरि [वि० सं० १४६८ ] [वि० सं० १४८३] [वि० सं० १५०८-१५२७]
___सागरचन्द्रसूरि देवरत्नसूरि [वि० सं० १५२०-१५३२] [वि० सं० १५४९-१५७२]
जैसा कि लेख के प्रारम्भ में कहा जा चुका है इस गच्छ से सम्बद्ध मात्र दो साहित्यिक साक्ष्य मिलते हैं। इनमें से प्रथम है रामकलशसूरि के शिष्य देवसुन्दरसूरि द्वारा रचित कयवन्नाचौपाई । इसकी प्रशस्ति में
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