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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास जयानन्दसूरि
गुणदेवसूरि (वि० सं० १५३५ - १५७७)
जिनदेवसूरि मुनितिलकसूरि (वि० सं० १५०७-१५०८) (वि. सं. १५०१-१५०८)
रत्नदेवसूरि
गुणाकरसूरि (वि० सं० १५११ - १५५८)(वि० सं० १४९९-१५१९)
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वीरदेवसूरि
पासदेव (पार्श्वदेव) सूरि (वि० सं० १५०९)
सोमर्कीर्तिसूरि
चारुचन्द्रसूरि
वीरचन्द्रसूरि (वि० सं० १५२७ - १५४०) (वि० सं० १५३१ - १५३४)
परन्तु इन सबको मिला कर भी चैत्रगच्छीय मुनिजनों की गुरु-शिष्य परम्परा की नामावली की अविच्छिन्न तालिका का पुनर्गठन कर पाना कठिन है।
जैसा कि पीछे हम देख चुके हैं साहित्यिक साक्ष्यों के अन्तर्गत सम्यक्त्वकौमुदी (रचनाकाल वि० सं० १५०४ / ई० सन् १४४८) और
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