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खंडिल गच्छ
विजयसिंहसूरि
३७९ (वि० सं० १४६९-१४८५ के मध्य कुल ६ प्रतिमा लेख)
वीरसूरि
(वि० सं० १४८९-१५१३ के मध्य लगभग ३० प्रतिमा लेख)
जिनदेवसूरि
(वि० सं० १५१५ के तीन प्रतिमा लेख)
भावदेवसूरि
(वि० सं० १५१७ - १५३९ के मध्य कुल १५ प्रतिमा लेख)
विजयसिंहसूरि (वि० सं० १५५६ - १५७८
के मध्यकुल ५ प्रतिमा लेख) अन्तिम प्रतिमा लेख वि० सं० १६६४ का है । इस लेख में भी प्रतिष्ठापक आचार्य का नामोल्लेख नहीं मिलता है।
इस गच्छ के आचार्यों द्वारा प्रतिष्ठापित जिनप्रतिमाओं पर उत्कीर्ण लेखों का विस्तृत विवरण इस प्रकार है -
जैसा कि पहले कहा जा चुका है, भावडारगच्छ का उल्लेख करने वाला सबसे प्राचीन प्रतिमा लेख वि० सं० ११९६ / ई. सन् ११४० का है, जो आज भिवंडी (बम्बई) के एक जैन मन्दिर में सुरक्षित है । मुनि कांतिसागरजी ने लेख की वाचना इस प्रकार दी हैं -
सम्वत् ११९६ वैशाख सुदि १० भाडवाचार्य (गच्छीय साध ---- लाडि पुत्र नमि कुमारेण नि० (बिम्बं) कारितः ।१७
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