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खंडिल गच्छ
वीरसूरि के पट्टधर जिनदेवसूरि हुए । उनके द्वारा वि० सं० १५१५ कार्तिक वदि १४ शुक्रवार को प्रतिष्ठापित श्रेयांसनाथ, सुमतिनाथ और शीतलनाथ की प्रतिमायें आज थराद, मुंडावा और पाटन के जैनमंदिरों में संरक्षित हैं। इन पर उत्कीर्ण लेख इस प्रकार हैं
संवत् १५१५ वर्षे कार्तिक वदि १४ शुक्रे श्री भावडारगच्छे श्रीश्रीमाल ज्ञा० व्य० राणा भा० रांभलदे पु० बेलां भा० फत्तू पु० आल्हा सहितेन पित्रोः श्रेयसे भ्रातृ वीरा लीना श्रेयसे श्रीश्रेयांसनाथबिबं कारि० प्रति० भ० श्रीजिनदेवसूरिभिः ॥
प्रतिष्ठा-स्थान-पार्श्वनाथ जिनालय, मुंडावा ८
संवत् १५१५ वर्षे कार्तिक वदि १४ शुक्रे श्रीभावडारगच्छे श्रीश्रीमाल ज्ञा० व्य० मीणा भा० माहणादे पु० माला भोजी देवासहितेन श्रीसुमतिनाथबिबं का० मातृपितृश्रेयसे श्री पू० कालिकाचार्यसंताने पू. श्रीजिनदेवसूरिभिः ।।
प्रतिष्ठा स्थान – बड़ा देरासर, कानासानो पाडो, पाटन । ४९
संवत् १५१५ वर्षे कार्तिक वदि १४ शुक्र श्रीभावडारगच्छे श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य. मेहाउलेन भा० दादू पुत्र पूना गांगा सांगा पितृव्य गेला सहितेन स्वपुण्यार्थं श्री शीतलनाथबिबं का० प्रति० श्री वीरसूरिपट्टे पूज्य श्री जिनदेवसूरिभिः ।
प्रतिष्ठा स्थान - जैन मंदिर- थराद५० जिनदेवसूरि का अन्य कोई लेख उपलब्ध नहीं है।
जिनदेवसूरि के पट्टधर भावदेवसूरि हुए । इनके द्वारा प्रतिष्ठापित प्रतिमाओं पर वि० सं० १५१७ से वि०सं० १५३९ तक के लेख उत्कीर्ण है। इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है
वि०सं० १५१७ फाल्गुन सुदि ३ शुक्रवार५१ मुनिसुव्रत की चौबीसी पर उत्कीर्ण लेख । प्रतिष्ठा स्थान-सुमतिनाथ जिनालय, ओराण
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