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उपकेश गच्छ
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कक्कसूरि [वि०सं० १४९९-१५१२]
। प्रतिमालेख
मुनि शीलसुन्दर
देवगुप्तसूरि
[वि०सं०१५२८-१५५७] वाचक मतिशेखर
प्रतिमालेख वि०सं० १५१४ में धन्नारास एवं वि०सं० १५३७ में मयणरेहारास के कर्ता सिद्धसूरि
[वि०सं०१५६६-१५९६]
प्रतिमालेख
हर्षसमुद्र उपा. रत्नसमुद्र कक्कसूरि
[वि०सं० १६०२ में वाचक विनयसमुद्र साध्वी रंगलक्ष्मी रचित मृगावतीचौपाई [वि०सं० १५८३ में [वि०सं० १५९१ में में उल्लिखित आरामशोभाचौपाई] इनके पठनार्थ । एवं [वि०सं० १६०२ मयणरेहारास की देवगुप्तसूरि में मृगावतीचौपाई] प्रतिलिपि की गयी] [वि०सं० १६३४ के रचनाकार
प्रतिमालेख] उपकेशगच्छीय सिद्धाचार्यसंतानीय मुनिजनों द्वारा प्रतिष्ठापित तीर्थङ्कर प्रतिमाओं पर उत्कीर्ण लेखों का विवरण इस प्रकार है -
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