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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
शिवचन्द्रगणि महत्तर [ भिन्नमाल में स्थिरवास] I
नाग वृन्द दुर्ग मम्मट अग्निशर्मा
वटेश्वर
[ आकाशवप्रनगर / अम्बरकोट / अमरकोट में जिनमंदिर के निर्माता]
I तत्त्वाचार्य
दाक्षिण्यचिह्न उद्योतनसूरि
[शक सं० ७०० / ई० स० ७७८ में
कुवलयमालाकहा के रचनाकार ]
उक्त दोनों प्रशस्तियों की गुरु-परम्परा की तालिकाओं के मिलान से उद्योतनसूरि और कृष्णर्षिगच्छीय जयसिंहसूरि की गुरु-परंपरा की जो संयुक्त तालिका बनती है, वह इस प्रकार है :
वाचक हरिगुप्त [ तोरमाण के गुरु]
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कवि देवगुप्त
I
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[सुपुरुषचरिय या त्रिपुरुषचरिय के रचनाकार ]
शिवचन्द्रगणि महत्तर [ भिन्नमाल में स्थिरवास]
I
नाग वृन्द दुर्ग मम्मट अग्निशर्मा
वटेश्वर क्षमाश्रमण
[ आकाशवप्रनगर में
जिनमंदिर के निर्माता ]
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