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________________ ३५२ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास शिवचन्द्रगणि महत्तर [ भिन्नमाल में स्थिरवास] I नाग वृन्द दुर्ग मम्मट अग्निशर्मा वटेश्वर [ आकाशवप्रनगर / अम्बरकोट / अमरकोट में जिनमंदिर के निर्माता] I तत्त्वाचार्य दाक्षिण्यचिह्न उद्योतनसूरि [शक सं० ७०० / ई० स० ७७८ में कुवलयमालाकहा के रचनाकार ] उक्त दोनों प्रशस्तियों की गुरु-परम्परा की तालिकाओं के मिलान से उद्योतनसूरि और कृष्णर्षिगच्छीय जयसिंहसूरि की गुरु-परंपरा की जो संयुक्त तालिका बनती है, वह इस प्रकार है : वाचक हरिगुप्त [ तोरमाण के गुरु] Jain Education International कवि देवगुप्त I | [सुपुरुषचरिय या त्रिपुरुषचरिय के रचनाकार ] शिवचन्द्रगणि महत्तर [ भिन्नमाल में स्थिरवास] I नाग वृन्द दुर्ग मम्मट अग्निशर्मा वटेश्वर क्षमाश्रमण [ आकाशवप्रनगर में जिनमंदिर के निर्माता ] For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003614
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages714
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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