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कृष्णर्षि गच्छ
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निर्ग्रन्थचूडामणि [वि०सं० १३०१ / जयसिंहसूरि ई. स. १२४५ में मरुभूमि में । जल निकालकर संघ की
प्राणरक्षा की
प्रभावक शिरोमणि प्रसन्नचन्द्रसूरि
निःस्पृह शिरोमणि [मुहम्मदशाह द्वारा
महेन्द्रसूरि सम्मानित]
जयसिंहसूरि [वि०सं० १४२२ /
ई. स. १३६६ में कुमारपालचरित के
रचनाकार] आचार्य जयसिंहसूरि ने भासर्वज्ञ कृत न्यायसार पर न्यायतात्पर्यदीपिका की भी रचना की।
जयसिंहसूरि के प्रशिष्य एवं प्रसन्नचन्द्रसूरि के शिष्य नयचन्द्रसूरि ने वि० सं० १४४४ / ई. स. १३८८ के आसपास हम्मीरमहाकाव्य और रम्भामञ्जरीनाटिका' की रचना की । इन रचनाओं की प्रशस्तियों में इन्होंने अपने प्रगुरु जयसिंहसूरि का सादर स्मरण किया है।
जयसिंहसूरि
प्रसन्नचन्द्रसूरि
नयचन्द्रसूरि
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