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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
कक्कसूरि [वि०सं० १५३७-१५४९] प्रतिमालेख
धर्महंस
धर्मरुचि [वि०सं० १५६१/ई. सन् १५०५ में
अजापुत्रचौपाई के रचनाकार] | उपकेशगच्छीय सिद्धाचार्यसंतानीय शाखा के आचार्यों की परम्परा की पूर्वोक्त तालिका संख्या ४ को अविभाजित उपकेशगच्छ की पूर्व प्रदर्शित तालिका-१ से समायोजिता तो किया जा सकता है, किन्तु दोनों के मध्य लंगभग १०० वर्षों का जो अन्तराल है, उसे पूरा करने में साहित्यक
और अभिलेखीये साक्ष्यों से कोई सहायता प्राप्त नहीं होती । उक्त दोनों तालिकाओं के समायोजन से गुरु-शिष्य परम्परा की जो नवीन तालिका निर्मित होती है, वह इस प्रकार हैद्रष्टव्य-तालिका ५
तालिका ५ कक्कसूरि
जिनचन्द्रगणि/कुलचन्द्रगणि
अपरनाम देवगुप्तसूरि [वि०सं० १०७३/ई. सन्
१०१७ में नवपदप्रकरणवृत्ति के रचनाकार] [तत्वार्थाधिगमसूत्र की ३१
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