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काम्यकगच्छ का संक्षिप्त इतिहास निर्ग्रन्थ दर्शन के श्वेताम्बर आम्नाय में विभिन्न स्थानों के नाम से उद्भूत गच्छों में काम्यक गच्छ भी एक है। काम्यक नामक स्थान से सम्बद्ध होने के कारण इस गच्छ का उक्त नामकरण हुआ। श्री विमलाचरण लाहा ने काम्यक की पहचान राजस्थान प्रान्त के भरतपुर जिले में अवस्थित कामा नामक स्थान से की है।' भरतपुर जिले के ही बयाना (प्राचीन श्रीपथ) नामक स्थान से वि. सं. ११०० (ई. सन् १०४४) का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है जो आज मस्जिद के रूप में परिवर्तित एक जैन मंदिर की दीवार पर उत्कीर्ण हैं । जे. एफ. फ्लीट ने रोमन लिपि में इसकी वाचना दी है जिसका कुछ सुधार के साथ नागरी लिपि में रूपान्तर निम्नानुसार है :
ॐ ॐ नमः सिद्धेभ्यः ॥ आसीन्निवृतकान्वयैकतिलकः श्रीविष्णुसूर्यासने श्रीमत्काम्यकगच्छतारकपथश्वेताशुमान् विश्रुत । श्रीमान्सूर्यमहेश्वरः प्रशमभूः (प्रशम्भूः) श्वेताम्ब(ब)रग्रामणी: राज्ये श्रीविजयाधिराजनृपतेः श्रीश्रीपथायांपुरी ॥ ततश्च नाशं यातुशतं सहस्रसहितं संवत्सराणां द्रुतम्, म्याना [नाम्ना] भाद्रभद सभद्रपदवीं मासः समारोहतु । सास्यैव क्षयमेतु सोम स (हि) ता कृष्णा द्वितीया तिथि:, पंचश्रीपर [मेष्ठी] निष्ठ हृदयः प्राप्तोदिवं यत्र सः ॥ [अ] [पि] च ॥ -
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